Raksha Bandhan 2022 : रक्षाबन्धन पर ‘सौभाग्य योग’ में बहनें सजाएंगी भाई की कलाई पर रक्षासूत्र

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@ ज्योर्तिविद् विमल जैन

श्रावण मास का लोकप्रिय महापर्व (Raksha Bandhan 2022 )रक्षाबन्धन प्रतिवर्ष श्रावण मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन हर्ष उमंग व उल्लास के साथ मनाने की परम्परा है। सुख-समृद्धि, सौभाग्य व दिर्घायु तथा अपने भाई-बहन के रिश्ते को अटूट व मधुर बनाने के लिए बहनें भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बाँधती हैं।

Raksha Bandhan Time : रक्षाबंधन पर रक्षा सूत्र बांधने का सही समय

प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार यह पर्व 11 अगस्त, गुरुवार को मनाया जाएगा। श्रावण शुक्ल पक्ष की पूॢणमा तिथि 11 अगस्त, गुरुवार को दिन में 10 बजकर 39 मिनट पर लग रही है जो कि अगले दिन 12 अगस्त, शुक्रवार को प्रात: 7 बजकर 06 मिनट तक रहेगी।

इस बार सौभाग्य योग का अनूठा संयोग 11 अगस्त, गुरुवार को दिन में 3 बजकर 25 मिनट से 12 अगस्त, गुरुवार को दिन में 11 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। पूर्णिमा तिथि के प्रारम्भ में दिन में 10 बजकर 39 मिनट से रात्रि 8 बजकर 53 मिनट तक भद्रा रहेगी, यह भद्रा पाताल लोक की है।

रक्षा बन्धन का पर्व भद्रारहित पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। भद्रा समाप्त होने के पश्चात रात्रि में प्रदोष काल तक रक्षा-बन्धन पर्व मनाया जाना श्रेष्ठ रहेगा।

इस बार भद्रा समाप्त होने के बाद रात्रि में ही प्रदोष काल में रक्षा बन्धन किया जाना श्रेष्ठ है। 12 अगस्त, शुक्रवार को प्रात: 7 बजकर 06 मिनट तक पूॢणमा तिथि रहेगी, तत्पश्चात प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। व्रत की पूॢणमा 11 अगस्त, गुरुवार को रहेगी इस दिन श्रीसत्यनारायण भगवान का व्रत एवं कथा का आयोजन होगा। स्नान-दान की श्रावण पूर्णिमा 12 अगस्त, शुक्रवार को रहेगी, इसी दिन से श्रावण मास के यम-नियम-संयम समाप्त हो जायेंगे।

Raksha Bandhan Puja Vidhi : रक्षाबन्धन पर्व पूजा का विधान

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर नवपरिधान धारण करके धार्मिक विधि-विधान से अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा करनी चाहिए। आज के दिन सप्तऋषियों की भी पूजा करने का विधान है। उनके आशीर्वाद से मंगल कल्याण होता है।

भविष्यपुराण के अनुसार विधि-विधानपूर्वक रक्षासूत्र धारण करने पर व्यक्ति के समस्त रोग उससे दूर रहते हैं, उसे जीवन भर आरोग्य सुख मिलता है। रक्षासूत्र धारण करने पर जाने-अनजाने जो भी अशुभ कार्य हो जाते हैं, वे सभी का प्रभाव नष्ट हो जाता है।

श्रावण पूर्णिमा के दिन बहनें अपनी परम्परा के अनुसार पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके, भाइयों के मस्तक पर टीका लगाकर, उनकी कलाई पर राखी बाँधती हैं। तत्पश्चात बहनें भाई को उपहार प्रदान करती हैं, साथ ही भाई भी उन्हें मंगल आशीर्वाद से सन्तुष्ट करके उनके जीवन की रक्षा का वचन देता है।

रक्षा सूत्र अपने पारिवारिक धार्मिक परम्परा के अनुसार ही बाँधना चाहिए।

प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि रक्षा बन्धन पर अपने कुल पुरोहित या श्रेष्ठ विद्वत्जन से अपनी कलाई पर रक्षासूत्र (राखी) अवश्य बँधवाना चाहिए। तत्पश्चात् उन्हें यथा सामथ्र्य भेंट व नकद द्रव्य देकर उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए जिससे जीवनपर्यन्त सुख-समृद्धि खुशहाली का सुयोग बना रहे।

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि रक्षाबन्धन के पर्व को और अधिक खुशनुमा बनाने के लिए राशियों के रंग के अनुसार बहनें यदि भाई को राखी बाँधें तो भाइयों के सौभाग्य में वृद्धि तो होगी ही साथ ही उनको अन्य लाभ का अवसर भी मिलेगा।

मान्यता के अनुसार सुनहरा, पीला और लाल रंग की राखी बाँधने का रिवाज है। इन रंगों की राखी के साथ ही भाइयों की जन्मतिथि व राशि के अनुसार भी राखी का रंग रखने से सौभाग्य में चार-चाँद लगता है। लाल रंग से जीवन में ऊष्मा व ऊर्जा का संचार होता है, वहीं पर सुनहले व पीले रंगों से प्रसन्नता मिलती है।

Raksha Bandhan Horoscope : रक्षा-सूत्र जन्मतिथि व राशि के अनुसार बाँधना विशेष शुभ

जन्मतिथि के अनुसार रंगों का चयन—जिनका जन्म 1, 10, 19 या 28 को हुआ हो, उनके लिए—लाल, गुलाबी, नारंगी। 2, 11, 29 के लिए—चमकीला सफेद और क्रीम। 3, 12, 21 एवं 30 के लिए—पीला या सुनहला पीला। 4, 13, 22, 31 के लिए—चमकीला एवं मिश्रित चटकीला रंग। 5, 14, 23 के लिए—चमकीला सफेद व सफेद। 7, 16, 25 के लिए—चमकीला तथा मिश्रित रंग। 8, 17, 26 के लिए—नीला व भूरा रंग। 9, 18, 27 के लिए—लाल, गुलाबी, नारंगी।

द्वादश राशियों के अनुसार रंगों का चयन

मेष-लाल, गुलाबी एवं नारंगी।

वृषभ-सफेद एवं क्रीम।

मिथुन-हरा व फिरोजी।

कर्क-सफेद व क्रीम।

सिंह-केसरिया, लाल व गुलाबी।

कन्या-हरा व फिरोजी।

तुला-सफेद व हल्का नीला।

वृश्चिक-नारंगी, लाल व गुलाबी।

धनु-पीला व सुनहरा।

मकर व कुम्भ-भूरा, स्लेटी व ग्रे।

मीन-पीला व सुनहरा।

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