Karwa Chauth 2022 : करवा चौथ पर अखण्ड सौभाग्यवती का व्रत रखती हैं सुहागिन महिलाएँ

Karwa Chauth 2022 : Karva Chauth Importance And Significance Of Sieve In Hindi

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Karwa Chauth 2022 : Karva Chauth Importance And Significance Of Sieve In Hindi

-ज्योर्तिवद् विमल जैन

Karwa Chauth 2022 : हिन्दू सनातन धर्म में पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करके व्रत-उपवास रखने की विशेष महिमा है।

भारतीय सनातन धर्म में कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ (करक चतुर्थी) का व्रत रखा जाता है। विशिष्ट कामना की पूर्ति के लिए सुहागिन महिलाएँ करवा चौथ का व्रत करती हैं। यह व्रत हर्ष, उल्लास व उमंग के साथ अपने पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है।

प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार यह व्रत गुरुवार, 13 अक्टूबर को रखा जाएगा। करवा चौथ की पूजा चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि में की जाती है।

कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि बुधवार, 12 अक्टूबर को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 2 बजकर 00 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन गुरुवार, 13 अक्टूबर को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 3 बजकर 09 मिनट तक रहेगी। करक चतुर्थी (करवा चौथ) का व्रत गुरुवार, 13 अक्टूबर को रखा जाएगा। चन्द्रोदय रात्रि 7 बजकर 55 मिनट पर होगा।

Karwa Chauth Vrat 2022 : व्रत रखने का विधान

प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि सुहागिन व्रती महिलाएँ प्रातरूकाल अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर अपने देवी-देवता की आराधना के पश्चात् करवा चौथ के व्रत का संकल्प लेती हैं, जिससे उनका अखण्ड सौभाग्य बना रहे साथ ही यश-मान, प्रतिष्ठा, सुख-समृद्धि, खुशहाली से वंचित न रहें।

मुख्यतः पति की लम्बी आयु के लिए ही करवा चौथ के व्रत का विधान शास्त्रों में बताया गया है। यह व्रत निराहार व निराजल रहते हुए किया जाता है।

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि सौभाग्यवती महिलाएँ कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन सुख-समृद्धि व अखण्ड सौभाग्य के लिए व्रत-उपवास रखकर देवाधिदेव भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान श्रीगणेश एवं श्रीकार्तिकेयजी की पूजा-अर्चना करती हैं।

करवा चौथ से सम्बन्धित वामनपुराण में वर्णित व्रत कथा का श्रवण करने का भी विधान है। व्रत के दिन सुहागिन महिलाएँ नव-परिधान व आभूषण धारण करके पूजा-अर्चना करती हैं।

Karwa Chauth 2022 Puja Vidhi  : पूजा का विधान

पूजा क्रम में करवा जो कि सोना, चाँदी, पीतल या मिट्टी का होना चाहिए, लोहे या अल्युमीनियम धातु का नहीं होना चाहिए। करवा में जल भरकर सौभाग्य व शृंगार की समस्त वस्तुएँ थाली में सजाकर रखी जाती है। व्रती महिलाएँ अपने पारिवारिक परम्परा व धार्मिक विधि-विधान के अनुसार रात्रि में चन्द्र उदय होने के पश्चात् चन्द्रमा को अर्घ्य देकर उनकी पूजा-अर्चना करती हैं।

तत्पश्चात् चन्द्रमा को चलनी से देखकर उनकी आरती उतारती हैं। घर-परिवार में उपस्थित सास-श्वसुर, जेठ एवं अन्य श्रेष्ठजनों को उपहार देकर उनसे आशीर्वाद लेती हैं। साथ ही सुहाग की समस्त वस्तुएँ अन्य सुहागिन महिलाओं को देकर उनका चरण स्पर्श कर खुशहाल जीवन का आशीर्वाद लेती हैं।

अपने खुशहाल जीवन के लिए तथा पति-पत्नी के रिश्ते को और अधिक मधुर व प्रगाढ़ बनाने के लिए करवा चौथ का व्रत विशेष फलदायी बतलाया गया है।

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि ज्योतिषशास्त्र की मान्यता है कि व्रतकर्ता अपनी जन्मतिथि व जन्मराशि के अनुसार परिधान धारण करके पूजा-अर्चना करें तो उनका सौभाग्य बना रहे।

Karwa Chauth : जन्मतिथि के अनुसार रंगों का चयन

जिनका जन्म 1, 10, 19 या 28 को हुआ हो, उनके लिए लाल, गुलाबी, नारंगी।
2, 11, 29 के लिए चमकीला सफेद और क्रीम।
3, 12, 21 एवं 30 के लिए पीला या सुनहला पीला।
4, 13, 22, 31 के लिए चमकीला एवं मिश्रित चटकीला रंग।
5, 14, 23 के लिए चमकीला सफेद व सफेद।
7, 16, 25 के लिए चमकीला तथा मिश्रित रंग।
8, 17, 26 के लिए नीला व भूरा रंग।
9, 18, 27 के लिएकृलाल, गुलाबी, नारंगी।

Karwa Chauth : राशि के अनुसार करें परिधान धारण

करवा चौथ के पर्व को और अधिक खुशनुमा बनाने के लिए राशियों के रंग के मुताबिक महिलाएँ परिधान धारण करें तो सौभाग्य में वृद्धि तो होगी ही साथ ही उनको अन्य लाभ भी मिलेगा।
सामान्यतः सुनहरा, पीला और लाल रंग के परिधान धारण करना शुभ माना गया है।

लाल रंग से ऊष्मा व ऊर्जा का संचार होता है, वहीं पर सुनहले व पीले रंगों से जीवन में प्रसन्नता मिलती है।

आजकल राशि के अनुसार आभूषण व परिधान धारण करने का प्रचलन बढ़ रहा है। कौन-सा रंग किस राशियों के लिए लाभदायक रहेगा

मेष-लाल, गुलाबी एवं नारंगी।
वृषभ-सफेद एवं क्रीम।
मिथुन-हरा व फिरोजी।
कर्क-सफेद व क्रीम।

सिंह-केसरिया, लाल व गुलाबी।

कन्या-हरा व फिरोजी।

तुला-सफेद व हल्का नीला।

वृश्चिक-नारंगी, लाल व गुलाबी।

धनु-पीला व सुनहरा।

मकर व कुम्भ-भूरा, स्लेटी व ग्रे।

मीन-पीला व सुनहरा।

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तिलक लगाने से मिलती है सफलता, राहु-केतु और शनि के अशुभ प्रभाव को करता है कम

(हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न -परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिसी एंव वास्तुविद् , एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी) 

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