होलिका दहन 24 मार्च 2024 : अग्नि की दिशा देखकर पता चलेगा कैसा रहेगा संवत 2081

Holi 2024 : Holika Dahan Flame direction can be calculated as to how your future

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Holi 2024 Holika Dahan Flame direction can be calculated as to how your future

होली का त्योहार देशभर में प्रसिद्ध है। होली से पूर्व रात को होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन का दिन भक्तों को प्रह्लाद और होलिका की याद दिलाता है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं होनी चाहिए। भद्रा के समय होलिका दहन करने से अनहोनी की आशंका रहती है। होलिका दहन 24 मार्च को होगा और होली 25 मार्च को मनाई जाएगी।

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि रंगों का त्योहार होली इस बार 25 मार्च को मनेगा। इससे एक दिन पहले 24 मार्च को तारीख को होली जलाई जाएगी। होलिका दहन के समय सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, बुध आदित्य योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। इस बार भद्रा दोष रहेगा इसलिए शाम की बजाय रात में होलिका दहन हो सकेगा।

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार होलिका दहन के लिए एक घंटा 20 मिनट का ही समय रहेगा। इसकी वजह इस दिन उस दिन भद्रा प्रातः 9:55 से आरंभ होकर मध्य रात्रि 11:13 तक भूमि लोक की रहेगी। जो की सर्वथा त्याज्य है। अतः होलिका दहन भद्रा के पश्चात मध्य रात्रि 11:13 से मध्य रात्रि 12:33 के मध्य होगा।

होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार होलिका दहन के लिए एक घंटा 20 मिनट का ही समय रहेगा। इसकी वजह इस दिन उस दिन भद्रा प्रातः 9:55 से आरंभ होकर रात्रि 11:13 तक भूमि लोक की रहेगी। जो की सर्वथा त्याज्य है।

अतः होलिका दहन भद्रा के पश्चात रात्रि 11:13 से मध्य रात्रि 12:33 के मध्य होगा। होलिका दहन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07:34 बजे से अगले दिन सुबह 06:19 बजे तक है। वहीं रवि योग रवि योग सुबह 06:20 बजे से सुबह 07:34 बजे तक है।

होलिका दहन पर शुभ योग

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल होलिका दहन के दौरान शुभ योग भी निर्मित हो रहे हैं। 24 मार्च को सुबह 6:20 बजे से सुबह 11:21 बजे तक रवि योग रहेगा, जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7:40 बजे से रात 12:35 बजे तक रहेगा।

इसी दिन रात 8:34 बजे से वृद्धि योग शुरू होगा, जो अगली रात 9:30 बजे तक रहेगा। 24 व 25 मार्च को सूर्य व बुध के कुंभ राशि में साथ रहने से बुधादित्य योग भी बनेगा, जो शुभ व मंगलकारी होगा। बुधादित्य योग से लोगों के व्यापार, शिक्षा व नौकरी के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। दान-पुण्य करने का भी श्रेष्ठ फल मिलता है।

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शिव पूजा से खत्म होंगे दोष

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलिका दहन के दिन हरि-हर पूजा करनी चाहिए। हरि यानी भगवान विष्णु और हर मतलब शिव। फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर प्रह्लाद का जीवन विष्णु भक्ति की वजह से ही बचा था।

तभी से हर वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन के साथ ही विष्णु पूजन की परंपरा भी चली आ रही है। लेकिन साथ ही इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से बीमारियां दूर होने लगती हैं और हर तरह के दोष भी खत्म होते हैं। इसलिए विद्वानों ने इस पर्व पर हरि-हर पूजा का विधान बताया है।

चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पूर्णिमा पर बन रहे सितारों के शुभ संयोग में चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व रहेगा। फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा करने से रोग नाश होता है।

इस त्योहार पर पानी में दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, मौली, अष्टगंध, फूल और नैवेद्य चढ़ाकर चंद्रमा को धूप-दीप दर्शन करवाकर आरती करनी चाहिए। इस तरह से चंद्र पूजा करने से बीमारियां दूर होने लगती हैं।

हवा की दिशा से तय होता है कैसा होगा सेहत, रोजगार और अर्थव्यवस्था

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलिका दहन के दौरान हवा की दिशा से तय होता है कि अगली होली तक का समय सेहत, रोजगार, शिक्षा, बिजनेस, कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए कैसा होगा।

होलिका जलने पर जिस दिशा में धुंआ उठता है, उससे आने वाले समय का भविष्य जाना जाता है। होलिका दहन की आग सीधी ऊपर उठे तो उसे बहुत शुभ माना गया है। वहीं, दक्षिण दिशा की ओर झुकी होलिका की आग को देश में बीमारियां और दुर्घटनाओं का संकेत देने वाला माना जाता है।

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आग का ऊपर उठना शुभ

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलिका दहन के समय आग की लौ अगर सीधे हो, आसमान की तरफ उठे तो अगली होली तक सब कुछ अच्छा होता है। खासतौर से सत्ता और प्रशासनिक क्षेत्रों में बड़े सकारात्मक बदलाव होते हैं। बड़ी जन हानि या प्राकृतिक आपदा की आशंका भी कम रहती है। पूजा-पाठ और दान से परेशानियां खत्म होंगी।

पूर्व दिशा

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलिका दहन की लौ पूर्व दिशा की ओर झूके तो इसे बहुत शुभ माना गया है। इससे शिक्षा-अध्यात्म और धर्म को बढ़ावा मिलता है। रोजगार की संभावना बढ़ती है। लोगों की सेहत में सुधार होता है। मान-सम्मान में भी बढ़ता है।

पश्चिम दिशा

भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि होली की आग पश्चिम की ओर उठे तो पशुधन को लाभ होता है। आर्थिक प्रगति होती है, लेकिन धीरे-धीरे। थोड़ी प्राकृतिक आपदाओं की आशंका भी रहती है, लेकिन कोई बड़ी हानि नहीं होती है। इस दौरान चुनौतियां बढ़ती हैं लेकिन सफलता भी मिलती है।

उत्तर दिशा

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलिका दहन के वक्त आग उत्तर दिशा की ओर होती है तो देश और समाज में सुख-शांति बढ़ती है। इस दिशा में कुबेर समेत अन्य देवताओं का वास होने से आर्थिक प्रगति होती है। चिकित्सा, शिक्षा, कृषि और व्यापार में उन्नति होती है।

दक्षिण दिशा

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस दिशा में होलिका दहन की आग का झुकना अशुभ माना गया है। दक्षिण दिशा में होलिका की लौ होने से झगड़े और विवाद बढ़ने की आशंका रहती है। युद्ध-अशांति की स्थिति भी बनती है। इस दिशा में यम का प्रभाव होने से रोग और दुर्घटना बढ़ने का अंदेशा भी रहता है।

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