Hariyali Amavasya 2021 : हरियाली अमावस्या सर्वार्थसिद्धि व रवि पुष्य योग में मनाई जायेगी

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Hariyali Amavasya

हरियाली अमावस्या पर करें श्राद्ध कर्म तर्पण

हरियाली अमावस्या श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या को कहते हैं। इसे श्रावणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस साल श्रावणी अमावस्या रविवार 8 अगस्त के दिन पड़ रही है। 8 अगस्त को सर्वार्थसिद्धि योग तथा रवि पुष्य योग भी बन रहा है। अमावस्या के दिन पितरों को खुश करने के लिए पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। हरियाली अमावस्या के दिन मुख्यतः पीपल व तुलसी की पूजा की जाती है ।

Hariyali Amavasya

पीपल के अग्रभाग में भगवान ब्रह्मा ,मध्य भाग में शिव जी तथा जड़ में विष्णु जी का निवास माना जाता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर – जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि हरियाली अमावस्या पर भी पितरों की शांति के लिए पिंडदान और दान-धर्म करने का महत्व है। यह पर्व हरियाली तीज से तीन दिन पूर्व मनाया जाता है। हरियाली अमावस्या के दिन दिन वृक्षारोपण का कार्य विशेष रूप से किया जाता हैं। इस दिन एक नया पौधा लगाना शुभ माना जाता हैं।

हरियाली अमावस्या के दिन पेड़ लगाने का विधान होता है । भारतीय धर्मों में एक वृक्ष को सौ पुत्रों के समान माना गया है। हरियाली अमावस्या के दिन पितरों की संतुष्टि के लिए पेड़ लगाने का विधान होता है । आंवला और तुलसी में भगवान विष्णु का निवास माना जाता है। बेल, बरगद में भगवान शिव का निवास माना जाता है, कमल में महालक्ष्मी का निवास माना जाता है। जामुन का फल धन दिलाता है ,बरगद का पेड़ ज्ञान पाकड़ का पेड़ सुयोग्य पत्नी, बबूल- पापों का नाश करता है।

अशोक को शोक मिटाने वाला वृक्ष माना जाता है। तेंदू का वृक्ष कुल में वृद्धि करता है।

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि रविवार 8 अगस्त की को सावन माह की अमावस्या है। इसे हरियाली अमावस्या कहा जाता है। इस तिथि पर किए गए पूजा-पाठ जल्दी सफल होते हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस अमावस्या पर पूजा-पाठ के साथ ही पौधारोपण करना चाहिए। इस दिन कई शहरों में हरियाली अमावस्या के दिन मेलों का भी आयोजन किया जाता हैं। खासकर किसानों के लिए हरियाली अमावस्या विशेष होती है।

किसान इस दिन एक-दूसरे को गुड़ और धानी की प्रसाद देकर अच्छे मानसून की शुभकामना देते हैं। साथ ही वे अपने कृषि यंत्रों का पूजन भी करते हैं।

शिवजी -पार्वती की करें पूजा

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि अमावस्या तिथि पर पति-पत्नी को एक साथ शिवजी और देवी पार्वती की पूजा करनी चाहिए। पूजा में ऊँ उमामहेश्वराय नम: मंत्र का जाप करें। देवी मां को सुहाग का सामान चढ़ाएं। शिवलिंग पर पंचामृत अर्पित करें। पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाकर बनाना चाहिए। भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें।

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सार्वजनिक स्थल पर लगाएं पौधा

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि हरियाली अमावस्या प्रकृति को कुछ देने का पर्व है। इस दिन प्रकृति की हरियाली बनाए रखने के लिए कम से कम एक पौधा किसी मंदिर में या किसी सार्वजनिक जगह पर लगाएं। साथ ही उस पौधे की देखभाल करने का संकल्प लें।

पितरों के लिए करें श्राद्ध कर्म तर्पण

विख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि अमावस्या पर घर के मृत सदस्यों के लिए श्राद्ध और तर्पण आदि शुभ काम किए जाते हैं। पुरानी मान्यता के अनुसार परिवार के मृत सदस्यों को ही पितर देवता कहा गया है। अमावस्या तिथि पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए।

इस दिन पितरों के श्राद्ध और तर्पण आदि पुण्य कर्म करना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले तो सुबह घर पर ही गंगाजल मिले पानी से स्नान कर लें और मन में सभी तीर्थ को नमन करें। इसके बाद पितरों का श्राध्द और तर्पण करें। सावन की इस अमावस्या पर दान करने का भी बहुत लाभ मिलता है इसलिए इस दिन दान करना न भूलें।

पवित्र नदी में करें स्नान

विख्यात कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। इस बार कोरोना महामारी की वजह से किसी नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो अपने घर पर पानी गंगाजल मिलाकर स्नान करें। सभी तीर्थों का और नदियों का ध्यान करना चाहिए। ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान के समान पुण्य मिल सकता है। स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करना चाहिए।

हरियाली अमावस्या का मुहूर्त

अमावस्या तिथि प्रारम्भ – अगस्त 07, 2021 को शाम 07:11 बजे अमावस्या तिथि समाप्त – अगस्त 08, 2021 को शाम 07:19 बजे

पूजा विधि

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन गंगा जल से स्नान करें। सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें। श्रावणी अमावस्या का उपवास करें एवं किसी गरीब को दान-दक्षिणा दें।

श्रावणी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का विधान है। इस दिन पीपल, बरगद, केला, नींबू अथवा तुलसी का वृक्षारोपण जरूर करें। किसी नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाएं। अपने घर के पास चींटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाएं।

 

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