आज कृषि क्षेत्र में पशु चिकित्सा की शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण

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यूके के तत्वावधान में किसान वैज्ञानिकों की वेबीनार आयोजित

जयपुर। कृषि विश्वविद्यालय (Agriculture University) के कुलपति नरेंद्र सिंह राठौर ने बताया की शिक्षा के क्षेत्र में कृषि विश्वविद्यालयों की क्या भूमिका है और वहां किस तरीके का काम हो रहा है।

राजस्थान एसोसिएशन, यूनाइटेड किंगडम,लन्दन (United Kingdom,London) के तत्वावधान में मिशन किसान वैज्ञानिक परिवार द्वारा मिशन किसान वैज्ञानिक के संस्थापक डॉ महेंद्र मधुप के नेतृत्व में आयोजित वेबीनार को संबोधित कर रहे थे।

इसमें भारत के किसान वैज्ञानिकों, कृषि अन्वेषकों एवं कृषि शिक्षा के क्षेत्र से संबंद्ध विशेषज्ञों ने भाग लिया। वेबीनार का संचालन कुलदीप शेखावत ने किया ।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में कृषि (Agriculture Sector) के क्षेत्र में कौशल विकासविद्यार्थियों, कृषकों तथा कृषि उत्पाद उद्यमियों के बीच आपसी तालमेल के बारे में शिक्षा दी जा रही है।

इससे विश्वविद्यालयों (University) से शिक्षा प्राप्त युवकों को कृषि के क्षेत्र में उत्तरोत्तर तरक्की करने में सहायता मिलेगी। इसके द्वारा भारत सरकार के लक्ष्य “कृषक की आमदनी दुगनी हो” को प्राप्त करने में भी सहायता मिलेगी।

राजस्थान पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय (Rajasthan University of Veterinary & Animal Sciences, Bikaner) के कुलपति डॉ. विष्णु शर्मा ने अपने क्षेत्र विशेष के बारे में चर्चा की। उनका कहना था कि आज कृषि क्षेत्र में पशु चिकित्सा की शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण हो गई है इसीलिए पशु चिकित्सा विज्ञान को कृषि संकाय से पृथक संकाय बनाया गया है।

उनका मानना था की पशु चिकित्सा शिक्षा का इस क्षेत्र (Veterinary & Animal Education) और देश के विकास में अपना अलग योगदान है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया की पशु उत्पाद में वृद्धि की आज देश में अपार संभावनाएं हैं।

इसके बाद किसान वैज्ञानिक पद्मश्री सुंडाराम वर्मा ने जल संवर्धन क्षेत्र में अपने अनुभव साझा किए और अपने अनुसंधान के बारे में जानकारी दी। उनका कहना था की भूमि की सतह पर उपलब्ध जल की उपयोगिता विभिन्न प्रयोगों द्वारा बढ़ाई जा सकती है और उससे कम जल वाले क्षेत्रों में भी अच्छी कृषि का लाभ लिया जा सकता है।

पद्मश्री जगदीश प्रसाद पारीक ने अपने (Traditional farming) परंपरागत जैविक कृषि (organic farming) के प्रयोग की जानकारी देते हुए बताया कि किस प्रकार संकर बीज की जगह पारंपरिक बीज से उत्तम किस्म की सब्जियों व फलों का उत्पादन किया जा सकता है। साथ ही वाटर रिचार्ज के बारे में भी अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने आह्वान किया कि सभी कृषकों को वाटर रिचार्ज का लाभ उठाना चाहिए।

कैलाश चौधरी ने कृषि उत्पाद, ((Agriculture ) प्रसंस्करण एवं विपणन के क्षेत्र में अपनी संघर्ष यात्रा का उल्लेख किया। उनका विश्वास था कि कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण व विपणन से अधिक लाभ उठाया जा सकता है।

कृषि रत्न मोटाराम शर्मा ने अपने स्वयं द्वारा विकसित मशरूम की दुर्लभ प्रजातियों के उत्पादन और उनके औषधीय गुणों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने विभिन्न प्रजातियों की भी विस्तार से चर्चा की। 

अंत में डॉ महेंद्र मधुप ने वेबीनार का समापन करते हुए वेबीनार की पृष्ठभूमि की चर्चा की।

किसान वैज्ञानिकों और ((Agriculture ) कृषि अन्वेषकों के क्षेत्र से अपने जुड़ाव के बारे में बताया और कृषि पत्रकारिता के क्षेत्र में तथा किसान वैज्ञानिकों को सार्वजनिक रूप से प्रकाश में लाने तथा उनके बारे में पूरे देश को अवगत कराने के अपने प्रयास के अनुभव साझा किए।

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