जयपुर/कोटा। राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने वक्तव्य जारी कर कोटा के जेकेलोन अस्पताल में 8 घंटे में 9 नवजातों (9 infants death in kota) की मौत के मामले पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए इसे चिकित्सा विभाग की घोर लापरवाही बताया है और राज्य सरकार से नवजात शिशुओं की असमय मृत्यु होने की मामले की उच्च स्तरीय जांच करने, लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों व स्टाफ के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा (Health minister) से तत्काल इस्तीफा देने की मांग की है।
राठौड़ ने कहा कि कोटा के जेकेलोन अस्पताल में वर्ष दिसंबर 2019 और जनवरी 2020 के बीच भी 35 दिनों में 110 नवजात शिशु अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से काल के ग्रास बन गए थे और इससे कई माताओं की कोख उजड़ गई थी। वहीं इस वर्ष 2020 में अब तक कोटा के जेकेलोन अस्पताल में 917 बच्चे दम तोड़ चुके हैं। चिकित्सा विभाग का नियंत्रण अकर्मण्य लोगों के हाथों में हैं जिन्हें गरीब परिवार के बच्चों की असमय मौत से कोई लेना-देना नहीं है।
राठौड़ ने कहा कि 8 घंटे में 9 नवजात शिशुओं की मौत होना चिकित्सा विभाग की बड़ी लापरवाही व कुप्रबंधन का ही नतीजा है। इसके बावजूद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा और अस्पताल प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए डॉक्टरों व स्टाफ को क्लीन चिट देने में लगे हुए हैं। जबकि जेकेलोन अस्पताल में चिकित्सकों एवं स्टाफ की कमी है और शिशु रोग विभाग में बच्चों के जीवनरक्षक करीब 100 उपकरण खराब पड़े हैं जिनमें कई नेबुलाइजर, इंफ्यूजन पंप, वार्मर, एक्स-रे मशीन और वेंटीलेटर शामिल है। इन कमियों के साथ जेकेलोन अस्पताल शिशुओं को जीवनदान देने की जगह उनकी जिंदगी छीनने का काम करते हुए ”मौत वाला अस्पताल” के रूप में तब्दील हो रहा है।
राठौड़ ने कहा कि पिछले वर्ष दिसंबर में नवजात बच्चों की मौत पर पत्रकारों के सवाल के जवाब पर राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने असंवेदनशील बयान देते हुए कहा था कि ”देश-प्रदेश में हर दिन हर अस्पताल के अंदर बच्चों की मौतें होती है इसमें कोई नई बात नहीं है।” तत्कालीन मामले के दौरान जिस सरकार के मुखिया के पास नवजात बच्चों की मौत पर सवाल सुनने की हिम्मत नहीं हो और ऐसा गैर जिम्मेदाराना बयान दिया जाए तो उनसे चिकित्सा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम करने की उम्मीद नहीं का जा सकती है। इसी का परिणाम है कि आज एक बार फिर सरकार की अव्यवस्थाओं का शिकार मामूस बच्चों को होना पड़ा है।
राठौड़ ने कहा कि पिछले दिसम्बर महीने में कोटा के जेके लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं के मरने का जो सिलसिला शुरू हुआ था वह अभी तक बदस्तूर जारी है। नवजात शिशुओं की मौत रोक पाने में अस्पताल प्रशासन व गहलोत सरकार नाकारा साबित हो रही है। उस समय कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी गहलोत सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की थी लेकिन एक वर्ष बाद भी ये अस्पताल दुर्दशा का शिकार है और यहां अव्यवस्थाओं की स्थिति जस की तस है।
राठौड़ ने कहा कि पिछली बार भी कोटा के इस अस्पताल के भीतर जब लगातार बच्चों की मौत हो रही थी तब अस्पताल प्रशासन ने चिकित्सा मंत्री की आवभगत के लिए असंवेदनशीलता को पार करते हुए ग्रीन कार्पेट भी बिछवा दिए थे और वह खानापूर्ति करके चले गए थे।
राठौड़ ने कहा कि पूर्व में नवजात शिशुओं की असामान्य परिस्थिति में मृत्यु होने पर मैंने और पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ जी ने कोटा पहुंचकर अस्पताल की अव्यवस्थाओं को लेकर तथ्यात्मक रिपोर्ट भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां जी के माध्यम से राज्यपाल को सौंपी थी। उस दौरान लोकतांत्रिक मर्यादाओं के विपरीत कांग्रेस सरकार द्वारा भेजे गए कुछ असामाजिक तत्वों ने हमें रोकने के लिए अशोभनीय व्यवहार किया था। वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर 4 स्टेट और 6 विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने भी जेकेलोन अस्पताल का दौरा कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया था और कई खामियां बताई थी।
राठौड़ ने कहा कि जेकेलोन अस्पताल मे एक बार फिर से नवजात शिशुओं का काल कवलित होना सरकार के माथे पर कलंक है। कांग्रेस सरकार को बच्चों की मौत से कोई सरोकार नहीं है। पूर्व में सैकड़ों बच्चों की मौत होने के बावजूद भी चिकित्सा विभाग सावचेत नहीं रहा और अस्पताल की दशा सुधारने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए।