जयपुर। राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़( Rajendra Rathore) ने वक्तव्य जारी कर मुंबई में रिपब्लिक टीवी के(Editor in Chief Arnab Goswami) एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को उनके आवास से दुर्व्यवहार कर गिरफ्तार करने को लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर सीधा प्रहार बताते हुए कहा कि कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों के नेतृत्व वाली महराष्ट्र सरकार ने एक बार फिर व्यक्तिगत और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन कर प्रेस का गला घोंटते हुए लोकतंत्र को शर्मसार करने का कृत्य किया है।
राठौड़ ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी को घर से घसीट कर ले जाने, उनके बेटे व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ हाथापाई कर उन्हें गिरफ्तार करने को सत्ता के अहंकार में डूबी महाराष्ट्र सरकार की बदले की भावना से प्रेरित कार्रवाई है और पत्रकारिता जगत के लिए काला दिन है।
राठौड़ ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी का यह कथन कि ‘मुझे पुलिस ने मारा है।’ यह शब्द हमें आज भारत के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले प्रेस की स्वतंत्रता पर किए गए उस वक्त के हमले की याद ताजा कराता हैं, जब वर्ष 1975 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश में आपातकाल के समय प्रेस को सेंसर की जंजीरों में जकड़ दिया था। सच बोलने और छापने पर पाबंदी लगा दी थी और इसी चौथे स्तंभ की स्वतंत्रता पर कुठराघात कर कई पत्रकारों को जेल में बंद कर दिया गया था। आज ऐसी ही कार्रवाई महाराष्ट्र सरकार ने की है।
राठौड़ ने कहा कि राष्ट्रीय न्यूज चैनल रिपब्लिक टीवी ने समय-समय पर महाराष्ट्र सरकार के काले चिट्ठों को जनता के समक्ष उजागर किया है। इसलिए द्वेषतापूर्ण तरीके से वर्ष 2018 में ही बंद हो चुके आत्महत्या के केस को पुनः चालू कर अर्नब गोस्वामी की अचानक गिरफ्तारी करना आपातकाल के उस काले अध्याय को दोहराने जैसा है।
राठौड़ ने कहा कि यह हो सकता है कि कुछ लोगों को अर्नब गोस्वामी की पत्रकारिता पसंद नहीं हो या वे उनके तथ्यों से असहमत हो लेकिन सत्तासीन सरकार द्वारा पुलिस प्रशासन का दुरुपयोग कर प्रेस का दमन करना बिल्कुल भी न्यायोचित्त नहीं है।