राजस्थान को मिले स्पेशल कैटेगरी का दर्जा

Rajasthan got special category status demand to Finance Minister

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Rajasthan got special category status

Rajasthan got special category : जयपुर। राजस्थान को स्पेशल कैटेगरी का दर्जा दिया जाए इसकी मांग (Technical Education Minister) तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग (Dr.Subash Garg) ने केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में राज्यों के वित्त मंत्रियों (Finance Minister ) के साथ आगामी बजट के संबंध में हुई बैठक में रखी।

उन्होने मांग रखी कि राजस्थान राज्य की कॉस्ट ऑफ सर्विस डिलीवरी अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा है ऐसे में केन्द्र सरकार द्वारा स्पेशल कैटेगरी का दर्जा दिया जाए।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार की इन्वेस्टमेंट फ्रेंडली पॉलिसिज की बदौलत, राजस्थान देश के सबसे बड़े इंवेस्टमेंट हब के रूप में उभर रहा है।

उन्होंने कहा कि राज्य में 24 एवं 25 जनवरी, 2022 को इन्वेस्टमेंट राजस्थान समिट भी होने वाला है, इसमें अभी तक साढ़े 5 लाख करोड़ रूपये से अधिक के 487 समझौते हो चुके है, जिनसे लगभग 3 लाख 28 हजार लोगों को रोजगार मिलने की आशा है।

ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को शीघ्र करें राष्ट्रीय परियोजना घोषित

डॉ गर्ग ने बैठक में मांग रखी कि ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को शीघ्र राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाना चाहिए। साथ ही मरूस्थलीय एवं आदिवासी क्षेत्रों की मुख्य 5 पांच परियोजनाओं को स्वीकृत कर 100 प्रतिशत खर्चा केन्द्र सरकार को वहन करना चाहिये। ऐसा करने से पूरे राजस्थान में निवेश का माहौल सुधरेगा।

डॉ गर्ग ने कहा कि जल जीवन मिशन के सफल क्रियान्वयन के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकार का वित्त पोषण अनुपात 90रू10 का किया जाना चाहिए। साथ ही इस योजना में केन्द्रांश के पुनर्भरण की अवधि को 2 वर्ष के लिए बढ़ाकर मार्च, 2026 की जानी चाहिए।

राजस्व घाटा अनुदान को बढ़ाया जाए

डॉ गर्ग ने कहा कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण राज्य अर्थव्यवस्था के प्रभावित हुई है। ऐसे में राजस्व घाटा अनुदान को वर्ष 2022-23 के लिए 4862 करोड़ रुपए से बढाकर 9878 करोड़ रुपए किया जाना चाहिए तथा उक्त अनुदान को 2023-24 से 2025-26 की अवधि में जारी रखा जाना चाहिए।

उन्होंने बैठक में मांग रखी कि 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों में शिथिलता दी जानी चाहिए। यह शिथिलता देते हुए सामान्य उधार सीमा को वर्ष 2021-22 के लिए सकल राज्य घरेलू उत्पादन का 5.0 प्रतिशत तथा वर्ष 2022-23 से वर्ष 2024-25 के लिए 4.5 प्रतिशत किया जाना चाहिए। इसके अलावा भारत सरकार द्वारा राज्य को अनुमत सकल ऋण सीमा में वृद्धि होनी चाहिये।

आयुष्मान भारत योजना में प्रीमियम राशि पर हटाई जाए सीलिंग

उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना के अन्तर्गत प्रति परिवार प्रतिवर्ष 1 हजार 52 रुपये की सीलिंग है। राज्य सरकार द्वारा 59.71 लाख सामाजिक, आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना, 2011 के परिवारों के साथ-साथ एनएफएसए परिवारों को भी जोड़ कर 1.1 करोड़ परिवारों के लिये बीमा कम्पनी को 1 हजार 662 रुपये प्रतिवर्ष प्रति परिवार की दर से प्रीमियम राशि का भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने आग्रह किया केन्द्र सरकार द्वारा 1 हजार 52 रुपये की सीलिंग हटाई जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग योजना से लाभान्वित हो सकें। साथ ही एनएफएसए परिवारों का भी प्रीमियम का भुगतान किया जाए।

सोने एवं चांदी पर आयात शुल्क घटाया जाए

 

डॉ गर्ग ने कहा कि वर्तमान में सोने और चांदी पर आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत और प्लेटिनम पर 10 प्रतिशत है। इसे घटाकर 4 प्रतिशत किया जाना चाहिए, ताकि भारतीय उत्पाद दुबई, सिंगापुर आदि से प्रतिस्पर्धा कर सकें।

इसके साथ ही उन्होने अनुरोध किया कि विदेशी आयात के कारण भारी घाटे में चल रहे स्थानीय खनन उद्योग को बचाने के लिए विट्रिफाईड टाइल्स के आयात पर वर्तमान बेसिक कस्टम ड्यूटी 10 प्रतिशत को बढ़ाकर 25 प्रतिशत की जानी चाहिए।

डॉ गर्ग ने राज्य विशिष्ट अनुदान एवं क्षेत्रा विशिष्ट अनुदान को जारी रखने, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में प्रीमियम सब्सिडी बॅटवारा पैटर्न 60रू40 करने, एल.पी.जी. गैस की दरें घटाये जाने, जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि को बढ़ाए जाने सहित विभिन्न मुद्दे भी बैठक में रखे। इस अवसर पर सचिव, वित्त (राजस्व) श्री टी. रविकांत भी मौजूद थे।

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