बिल्डिंग एंड इंटीरियर मटेरिअल की प्रर्दशनी और आर्टिसन्स मेला का आगाज़

India International Design Conclave in Jaipur

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India International Design Conclave in Jaipur

इंडिया इंटरनेशनल डिजाइन कॉन्क्लेव (आईआईडीसी) 2025

जयपुर। अगर आपको कला, डिज़ाइन, आर्किटेक्चर या रंगों और रचनात्मकता से ज़रा भी लगाव है, तो आप को आईआईडीसी 2025 को मिस नहीं करना चाहिए। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीरियर डिज़ाइनर्स (आईआईडी), जयपुर रीजनल चैप्टर द्वारा आयोजित इस भव्य कॉन्क्लेव का जयपुर में झालाना डूंगरी स्थित राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर (आरआईसी) में शुरू हुआ।

आईआईडी के राजस्थान चेयरमैन,आर्किटेक्ट आशीष कला ने बताया कि इस तीन दिवसीय कॉन्क्लेव का उद्घाटन राजस्थान की डिप्टी सीएम, दिया कुमारी,आईआईडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष,सरोष एच.वाडिया,राष्ट्रीय अध्यक्ष,इलेक्ट,जिग्नेश मोदी और आनरेरी सेक्रेटरी, शमनी शंकर द्वारा किया गया।

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इस अवसर पर डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने कहा कि “राजस्थान की कलात्मक परंपरा और डिज़ाइन क्षमता को ऐसे मंचों के माध्यम से देश-दुनिया तक पहुँचाना अत्यंत सराहनीय प्रयास है। डिज़ाइन एक ऐसा माध्यम है जो परंपरा को नवाचार से जोड़ता है। आदरणीय प्रधानमंत्री,नरेंद्र मोदी की हरित-स्मार्ट भारत की परिकल्पना और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की इंटरियर डिजाइनिंग को वोकेशनल एजुकेशन में जोड़ने की पहल, भारत को डिज़ाइन इनोवेशन में वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जा रही है।”

आईआईडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरोष एच.वाडिया ने कहा कि “इंटीरियर डिज़ाइन में भारतीयता को शामिल करना बेहद ज़रूरी है। हमें अपने हेरिटेज पर गर्व है, और यह गर्व हमें उन कारीगरों और कलाकारों की याद दिलाता है, जो पीढ़ियों से अपनी कला को जीवित रखे हुए हैं – चाहे वह कलमकारी हो, पेंटिंग हो या वीविंग। इन कारीगरों में जो भारतीयता और आत्मा झलकती है, वह दुनिया में कहीं और नहीं मिलती।

आज के डिज़ाइनर जब मॉडर्न आइडियाज को इन कलाकारों की पारंपरिक कला के साथ मिलाते हैं, तो एक अनोखी रचनात्मकता उभरकर सामने आती है। ये कलाकार भी अब नए अंदाज़ और तकनीकों के साथ आ रहे हैं – वे परंपरागत कला में मॉडर्न टच जोड़ रहे हैं। जब हम अपने घरों में इन कलाकृतियों को जगह देते हैं, तो उससे एक भावनात्मक जुड़ाव होता है। इसके मुकाबले किसी विदेशी आर्ट या रूस से आयातित आइटम उतना जुड़ाव नहीं दिला पाते और यह सिर्फ राजस्थान की बात नहीं है – बल्कि पूरे भारत में यही चलन है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीरियर डिज़ाइनर्स में हर जगह भारतीय कलाकारों को साथ रखने की यह सोच आगे बढ़ रही है।”

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आईआईडी के चेयरपर्सन इलेक्ट क्षितिज मनु ने बताया कि इस एक्जीबिशन में आर्टिस्ट पंकज भारद्वाज ने अपनी कलाकृति में ऑपरेशन सिंदूर की झलक दिखाई दी। आईआईडीसी 2025 की हाइलाइट्स रहीं व्यापार प्रदर्शनी जिसमे देश-विदेश की नई तकनीकों, बेहतरीन डिज़ाइन और क्रिएटिव प्रोडक्ट्स की झलक देखने को मिली। आईआईडी की सह-सचिव शिखा सिंह ने बताया कि आर्ट इंस्टॉलेशन में परंपरागत और आधुनिक कला के सुन्दर समागम के साथ ही इंस्टाग्राम-योग्य फोटोबूथ्स।

डिज़ाइन कॉन्फ्रेंस में भारत और दुनिया के प्रसिद्ध डिज़ाइनर और आर्किटेक्ट्स अपने अनुभव और विचार साझा किये। सुभार्थी गुहा (लंदन) ने अपने कीनोट एड्रेस में कहा कि “तकनीकी पहलू बहुत महत्वपूर्ण होते हैं जब हम डिज़ाइन कर रहे होते हैं, क्योंकि हमें मटेरियल की विशिष्टताओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए – कौन सा मटेरियल कहाँ उपयुक्त रहेगा, भवन की संरचना कैसी होगी, वहाँ का वातावरण कैसा होगा, मौसम की परिस्थितियाँ कैसी होंगी। इसलिए खिड़कियों का डिज़ाइन, बेसिक आर्किटेक्चर और संरचना बेहतरीन होनी चाहिए, जिसमें भौतिकी (फिज़िक्स) का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है।

इसमें कई चीजें शामिल होती हैं – तकनीकी जानकारी, मटेरियल और कार्यशैली (वर्कमैनशिप) भी। उन्होंने कई देशों का दौरा किया है जहाँ भाषा की बाधाएँ होती हैं। ऐसे में सबसे ज़रूरी है कि आप अपनी बात को कैसे स्पष्ट और प्रभावी ढंग से पहुँचाते हैं। उन्होंने एक शब्द का इस्तेमाल किया जो बेहद महत्वपूर्ण है – समाधान (सॉल्यूशन)। वे हमेशा समस्याओं का हल निकालते हैं, खासकर क्लाइंट्स की समस्याओं का। इसलिए बेसिक होमवर्क बहुत ज़रूरी है – जलवायु, स्थल और अन्य सभी बातें समझनी होती हैं, और फिर काम करना होता है।”

“चाय पे चर्चा”: डिज़ाइन और संगीत पर चर्चा प्रसिद्ध डिज़ाइनर और म्यूज़िक लवर भास्कर मिस्त्री के साथ। यह एक ऐसा विषय है जो मुझे हमेशा से बेहद पसंद है – डिज़ाइन और संगीत के बीच का गहरा रिश्ता। मुझे लगता है कि ये दोनों ही एक-दूसरे से कहीं न कहीं जुड़े हुए हैं।

हमने दोनों के बीच के समान पहलुओं पर चर्चा की। जैसे संगीत में एक टोन होती है, ठीक वैसे ही डिज़ाइन में एक बिंदु (डॉट) होता है। डिज़ाइन की रेखा की तरह ही संगीत में टोन होती है। संगीत की मधुरता और डिज़ाइन का फॉर्म भी एक जैसे लगते हैं। और दोनों ही दिल से निकलते हैं, भावनाएँ जगाते हैं। संगीत जहाँ एक जीवंत प्रदर्शन है – जिसे उसी समय महसूस किया जा सकता है – डिज़ाइन वैसा है जैसे जमी हुई धुन, जिसे देखा और महसूस किया जा सकता है। यह पूरी चर्चा बहुत ही मज़ेदार और दिलचस्प रही। सच कहूँ तो, मैंने इस पूरे अनुभव को दिल से जीया और खूब मज़ा आया।

 

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