Navratri Kanya Pujan : नवरात्रि में कन्या पूजन से मिलेगी परेशानियों से मुक्ति

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Chaitra Navratri Know more Navratri Kanya Pujan

Navratri Kanya Pujan Know more Chaitra Navratri : नवरात्र (Navratri) के अंतिम दिन कन्या पूजन (Kanya Pujan) का विशेष महत्व होता है। व्रत रखने वाले भक्त कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं। कन्याओं को देवी मां का स्वरूप माना जाता है।

मान्यता है कि इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति एवं सम्पन्नता आती है। कन्या भोज के दौरान नौ कन्याओं का होना आवश्यक होता है। इस बीच यदि कन्याएं 10 वर्ष से कम आयु की हो तो जातक को कभी धन की कमी नही होती और उसका जीवन उन्नतशील रहता है।

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि में कन्या पूजन का बहुत महत्व है।

आमतौर पर नवमी को कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन कराया जाता है। लेकिन कुछ श्रद्धालु अष्टमी को भी कन्या पूजन करते हैं। शनिवार को रात में 1.30 बजे तक अष्टमी रहेगी। इसके बाद नवमी शुरू हो जाएगी।

विद्वानों का कहना है कि दुर्गाष्टमी पर रात में होने वाली महापूजा 12 बजे से पहले शुरू कर देनी चाहिए। इसके बाद पूर्णाहुति नवमी तिथि भी की जा सकती है।

नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या भोजन का विधान ग्रंथों में बताया गया है। इसके पीछे भी शास्त्रों में वर्णित तथ्य यही हैं कि 2 से 10 साल तक उम्र की नौ कन्याओं को भोजन कराने से हर तरह के दोष खत्म होते हैं।

कन्याओं को भोजन करवाने से पहले देवी को नैवेद्य लगाएं और भेंट करने वाली चीजें भी पहले देवी को चढ़ाएं। इसके बाद कन्या भोज और पूजन करें। कन्या भोजन न करवा पाएं तो भोजन बनाने का कच्चा सामान जैसे चावल, आटा, सब्जी और फल कन्या के घर जाकर उन्हें भेंट कर सकते हैं।

Navratri Kanya Pujan : कन्या और देवी के शस्त्रों की पूजा

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि अष्टमी को विविध प्रकार से मां शक्ति की पूजा करें। इस दिन देवी के शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए। इस तिथि पर विविध प्रकार से पूजा करनी चाहिए और विशेष आहुतियों के साथ देवी की प्रसन्नता के लिए हवन करवाना चाहिए। इसके साथ ही 9 कन्याओं को देवी का स्वरूप मानते हुए भोजन करवाना चाहिए। दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को विशेष प्रसाद चढ़ाना चाहिए।

पूजा के बाद रात्रि को जागरण करते हुए भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए।

Navratri : हर आयु की कन्या का होता है अलग महत्व

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि 2 साल की कन्या को कौमारी कहा जाता है। इनकी पूजा से दुख और दरिद्रता खत्म होती है।

3 साल की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है। त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और परिवार का कल्याण होता है।

4 साल की कन्या कल्याणी मानी जाती है। इनकी पूजा से सुख-समृद्धि मिलती है।

5 साल की कन्या रोहिणी माना गया है। इनकी पूजन से रोग-मुक्ति मिलती है।

6 साल की कन्या कालिका होती है। इनकी पूजा से विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है।

7 साल की कन्या को चंडिका माना जाता है। इनकी पूजा से ऐश्वर्य मिलता है।

8 साल की कन्या शांभवी होती है। इनकी पूजा से लोकप्रियता प्राप्त होती है।

9 साल की कन्या दुर्गा को दुर्गा कहा गया है। इनकी पूजा से शत्रु विजय और असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं।

10 साल की कन्या सुभद्रा होती है। सुभद्रा के पूजन से मनोरथ पूर्ण होते हैं और सुख मिलता है।

Kanya Pujan on Navratri : कन्या पूजन से मिलेगी परेशानियों से मुक्ति

विवाह में देरी

यदि शादी में देरी हो रही है तो पांच साल की कन्या को खाना खिलाकर। श्रृंगार का सामान भेंट करें।

धन संबंधी समस्या

पैसों की कमी से परेशान हैं तो चार साल की कन्या को खीर खिलाएं। इसके बाद पीले कपड़े और दक्षिणा दें।

शत्रु बाधा और काम में रुकावटें

नौ साल की तीन कन्याओं को भोजन सामग्री और कपड़ें दें।

पारिवारिक क्लेश

तीन और दस साल की कन्याओं को मिठाई दें।

बेरोजगारी

छह साल की कन्या को छाता और कपड़ें भेंट करें।

सभी समस्याओं का निवारण

पांच से 10 साल की कन्याओं को भोजन सामग्री देकर दूध, पानी या फलों का रस भेंट करें। सौन्दर्य सामग्री भी दें।

Importance of Kanya Pujan : पुराणों में है कन्या भोज का महत्व

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पौराणिक धर्म ग्रंथों एवं पुराणों के अनुसार नवरात्री के अंतिम दिन कौमारी पूजन आवश्यक होता है। क्योंकि कन्या पूजन के बिना भक्त के नवरात्र व्रत अधूरे माने जाते हैं। कन्या पूजन के लिए सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि को उपयुक्त माना जाता है। कन्या भोज के लिए दस वर्ष तक की कन्याएं उपयुक्त होती हैं।

Navratri Kanya Pujan Subh Muhurat : शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि शुक्ल पक्ष अष्टमी 08 अप्रैल को रात 11:05 मिनट से शुरू होगी, जो कि 10 अप्रैल को सुबह 01:24 मिनट पर समाप्त होगी। अभिजीत मुहूर्त 09 अप्रैल को दोपहर 12:03 मिनट से 12:53 मिनट तक रहेगा। अमृत काल 09 अप्रैल को सुबह 01:50 मिनट से 03:37 मिनट तक रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:39 मिनट से सुबह 05:27 मिनट तक रहेगा।

कन्या पूजन मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि को दिन का शुभ मुहूर्त 11:58 मिनट से 12:48 मिनट तक है। इस समय कन्या पूजन किया जा सकता है।

How to Navratri Kanya Pujan : इस तरह करें पूजन

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि कन्या पूजन के दिन घर आईं कन्याओं का सच्चे मन से स्वागत करना चाहिए। इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं।

इसके बाद स्वच्छ जल से उनके पैरों को धोना चाहिए। इससे भक्त के पापों का नाश होता है। इसके बाद सभी नौ कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। इससे भक्त की तरक्की होती है। पैर धोने के बाद कन्याओं को साफ आसन पर बैठाना चाहिए। अब सारी कन्याओं के माथे पर कुमकुम का टीका लगाना चाहिए और कलावा बांधना चाहिए।

कन्याओं को भोजन कराने से पहले अन्य का पहला हिस्सा देवी मां को भेंट करें, फिर सारी कन्याओं को भोजन परोसे। वैसे तो मां दुर्गा को हलवा, चना और पूरी का भोग लगाया जाता है। लेकिन अगर आपका सामाथ्र्य नहीं है तो आप अपनी इच्छानुसार कन्याओं को भोजन कराएं।

भोजन समाप्त होने पर कन्याओं को अपने सामथ्र्य अनुसार दक्षिणा अवश्य दें। क्योंकि दक्षिणा के बिना दान अधूरा रहता है। यदि आप चाहते हैं तो कन्याओं को अन्य कोई भेंट भी दे सकते हैं।

अंत में कन्याओं के जाते समय पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और देवी मां को ध्यान करते हुए कन्या भोज के समय हुई कोई भूल की क्षमा मांगें। ऐसा करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं।

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(विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक, विधाधर नगर, जयपुर (राजस्थान) Ph.- 9460872809)

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