Mahashivratri 2022 : हजारों सालों से विज्ञान ‘शिव’ के अस्तित्व को समझने का प्रयास कर रहा है। जब भौतिकता का मोह खत्म हो जाए और ऐसी स्थिति आए कि ज्ञानेंद्रियां भी बेकाम हो जाएं, उस स्थिति में शून्य आकार लेता है, और जब शून्य भी अस्तित्वहीन हो जाए तो वहां शिव का प्राकट्य होता है।
शिव यानी शून्य से परे। जब कोई व्यक्ति भौतिक जीवन को त्याग कर सच्चे मन से मनन करे तो शिव की प्राप्ति होती है। उन्हीं एकाकार और अलौकिक शिव के महारूप को उल्लास से मनाने का त्योहार है महाशिवरात्रि।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि महाशिवरात्रि हिंदुओं का एक धार्मिक त्योहार है, जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता महादेव अर्थात शिव जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन शिवभक्त एवं शिव में श्रद्धा रखने वाले लोग व्रत-उपवास रखते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना करते हैं। महाशिवरात्रि को लेकर भगवान शिव से जुड़ी कुछ मान्यताएं प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन ही ब्रम्हा के रूद्र रूप में मध्यरात्रि को भगवान शंकर का अवतरण हुआ था।
वहीं यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तांडव कर अपना तीसरा नेत्र खोला था और ब्रम्हांड को इस नेत्र की ज्वाला से समाप्त किया था। इसके अलावा कई स्थानों पर इस दिन को भगवान शिव के विवाह से भी जोड़ा जाता है और यह माना जाता है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था।
वैसे तो प्रत्येक माह में एक शिवरात्रि होती है, परंतु फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को आने वाली इस शिवरात्रि का अत्यंत महत्व है, इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है। वास्तव में महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ की आराधना का ही पर्व है, जब धर्मप्रेमी लोग महादेव का विधि-विधान के साथ पूजन अर्चन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
इस दिन शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो शिव के दर्शन-पूजन कर खुद को सौभाग्यशाली मानती है।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन शिव जी का विभिन्न पवित्र वस्तुओं से पूजन एवं अभिषेक किया जाता है और बिल्वपत्र, धतूरा, अबीर, गुलाल, बेर, उम्बी आदि अर्पित किया जाता है। भगवान शिव को भांग बेहद प्रिय है अत: कई लोग उन्हें भांग भी चढ़ाते हैं। दिनभर उपवास रखकर पूजन करने के बाद शाम के समय फलाहार किया जाता है।
शिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा करने का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भोले को खुश कर लिया तो आपके सारे काम सफल होते हैं और सुख समृद्धि आती है। भोले के भक्त शिवरात्रि के दिन कई तरह से भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं। शिव को खुश करने के लिए शिवालयों में भक्तों का तांता लगा होता है, जो बेल पत्र और जल चढ़ाकर शिव की महिमा गाते हैं।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हर साल यह पर्व फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल महाशिवरात्रि पर्व 1 मार्च को है। इस बार महाशिवरात्रि पर दो शुभ संयोग बनने के साथ पंचग्रही योग भी बन रहा है। ऐसे में शुभ संयोग में महाशिवरात्रि पर शिव आराधना करने पर सभी भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य ही पूरी होंगी।
दरअसल महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन ज्योतिष उपाय करने से आपकी सभी परेशानियां खत्म हो सकती हैं। महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा की जानी चाहिए तभी इसका फल मिलता है।
इस दिन का प्रत्येक घड़ी-पहर परम शुभ रहता है। कुवांरी कन्याओं को इस दिन व्रत करने से मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों का वैधव्य दोष भी नष्ट हो जाता है। महाशिवरात्रि में शिवलिंग की पूजा करने से जन्मकुंडली के नवग्रह दोष तो शांत होते हैं विशेष करके चंद्र्जनित दोष जैसे मानसिक अशान्ति, माँ के सुख और स्वास्थ्य में कमी, मित्रों से संबंध, मकान-वाहन के सुख में विलम्ब, हृदयरोग, नेत्र विकार, चर्म-कुष्ट रोग, नजला-जुकाम, स्वांस रोग, कफ-निमोनिया संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है और समाज में मान प्रतिष्ठा बढती है।
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से व्यापार में उन्नति और सामाजिक प्रतिष्ठा बढती है।
भांग अर्पण से घर की अशांति, प्रेत बाधा तथा चिंता दूर होती है।
मंदार पुष्प से नेत्र और ह्रदय विकार दूर रहते हैं।
शिवलिंग पर धतूर के पुष्प-फल चढ़ाने से दवाओं के रिएक्शन तथा विषैले जीवों से खतरा समाप्त हो जाता है।
शमीपत्र चढ़ाने से शनि की शाढ़ेसाती, मारकेश तथा अशुभ ग्रह-गोचर से हानि नहीं होती।
इसलिए श्रीमहाशिवरात्रि के एक-एक क्षण का सदुपयोग करें और शिवकृपा प्रसाद से त्रिबिध तापों से मुक्ति पायें।
Mahashivratri Puja : शिवरात्रि की रात को पूजा
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3:16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी।
शिवरात्रि की रात को पूजा 4 पहर में की जाती है।
पहले पहर की पूजा शाम 6:23 मिनट से रात्रि 9:31 मिनट के बीच की जाएगी।
दूसरे पहर की पूजा रात 9:32 मिनट से 12:39 मिनट के बीच, तीसरे पहर की पूजा रात 12:40 मिनट से सुबह 3:47 बजे के बीच और चौथे पहर की पूजा 3:48 मिनट से 6:54 मिनट के बीच की जाएगी।
महाशिवरात्रि के दिन सुबह 11.47 से दोपहर 12.34 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा।
इसके बाद दोपहर 02.07 से लेकर 02.53 तक विजय मुहूर्त रहेगा।
पूजा या कोई शुभ कार्य करने के लिए ये दोनों ही मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ हैं।
शाम के वक्त 05.48 से 06.12 तक गोधूलि मुहूर्त रहने वाला है।
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अगर किसी को अपना सूर्य मजबूत करना है सरकारी कामों में सफलता प्राप्त करनी है तो तांबे के लोटे में जल मिश्रित गुण से शिवलिंग का अभिषेक करें, वैवाहिक जीवन मधुर बनाने के लिए जोड़े से पति पत्नी शिवलिंग का अभिषेक करें, अगर आपकी कुंडली में मंगल पीड़ित है तो शिवलिंग का अभिषेक हल्दी मिश्रित जल से करें, अगर आपकी कुंडली में बुध की स्थिति खराब है तो शिव पार्वती की पूजा करें पूजन के बाद 7 कन्याओं को भोजन कराएं एवं जल और तुलसी पत्र चढ़ाएं, कुंडली में शुक्र को मजबूत करने के लिए दूध-दही से अभिषेक करें, कुंडली में शनि ग्रह पीड़ित है तो सरसों के तेल से अभिषेक करें, राहु ग्रह को मजबूत करने के लिए जल में 7 दाना जौं मिलाकर अभिषेक करें।
Mahashivratri Horoscope : केतु को मजबूत करने के लिए जल में शहद मिलाएं
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि केतु ग्रह को मजबूत करने के लिए जल में शहद मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। कुंडली में चंद्रमा को मजबूत करने के लिए कच्चे दूध से अभिषेक करें। गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए अपने माथे पर और नाभि पर केसर का तिलक लगाएं। केसर मिश्रित जल चढ़ाएं शिवलिंग में सबसे ज्यादा एनर्जी पाई जाती है। इसके साथ 108 बार ओम नम: शिवाय का जाप करें।
मेष : बेलपत्र अर्पित करें।
वृष : दूध मिश्रित जल चढ़ाएं।
मिथुन : दही मिश्रित जल चढ़ाएं।
कर्क : चंदन का इत्र अर्पित करें।
सिंह : घी का दीपक जलाएं।
कन्या : काला तिल और जल मिलाकर अभिषेक करें।
तुला: जल में सफेद चंदन मिलाएं।
वृश्चिक : जल और बेलपत्र चढ़ाए।
धनु : अबीर या गुलाल चढ़ाएं।
मकर : भांग और धतूरा चढ़ाएं।
कुंभ : पुष्प चढ़ाएं।
मीन : गन्ने के रस और केसर से अभिषेक करें।
Mahashivratri Puja Muhurat : महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहू्र्त
महाशिवरात्रि तिथि: – 1 मार्च 2022
महाशिवरात्रि निशिता काल: 1 मार्च (रात 12:14 से लेकर 1:05 तक)
महाशिवरात्रि प्रथम प्रहर: 1 मार्च (शाम 06:23 से लेकर 09:31 तक)
महाशिवरात्रि द्वितिय प्रहर: 1 मार्च (रात 09:32 से लेकर 12:39 तक)
महाशिवरात्रि तृतीय प्रहर: 1 मार्च (रात 12:40 से लेकर 03:47 तक)
महाशिवरात्रि चतुर्थ प्रहर: 2 मार्च (सुबह 03:48 से लेकर 06:54 तक)
Mahashivratri : शिव पूजा का महत्व-
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि भगवान शिव की पूजा करते समय बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति की सभी समस्याएं दूर होकर उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं।
Mahashivratri Importance : शिवरात्रि का पौराणिक महत्व-
पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी पावन रात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था। मान्यता यह भी है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का शुभ विवाह संपन्न हुआ था।
Mahashivratri Puja Vidhi : महाशिवरात्रि पूजा विधि
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शिवपुराण के अनुसार व्रती को प्रातः काल उठकर स्नान संध्या कर्म से निवृत्त होने पर मस्तक पर भस्म का तिलक और गले में रुद्राक्षमाला धारण कर शिवालय में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं शिव को नमस्कार करना चाहिए। तत्पश्चात उसे श्रद्धापूर्वक व्रत का इस प्रकार संकल्प करना चाहिए।
हल्दी का टीका
शिवरात्री पर भगत मंदिर में हल्दी के जरिए भगवान शिव को टीका लगाते हैं। वैसे भी लगभग हर धार्मिक कार्य में हल्दी का प्रयेाग किया जाता है। लेकिन भगवान शिव को हल्दी अर्पित नहीं की जाती। इसका कारण है कि कि ऐसा हल्दी एक स्त्री सौंदर्य प्रसाधन में प्रयोग की जाते वाली वस्त है और शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है।
लाल रंग के फूल
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि आपने देखा होगा कि शिवरात्रि पर मंदिरों के बाहर खूब फूल बिकते हैं। पर क्या आप ध्यान दिया कि इन फूलों में लाल रंग के फूल नहीं होते. ज्यादातर गेंदा ही नजर आता है. ऐसा इसलिए कि शिवजी को लाल रंग के फूल नहीं चढ़ाते। कहते हैं कि सफेद रंग के फूल चढ़ाने से भगवान शिव को जल्दी प्रसन्न होते हैं।
सिंदूर या कुमकुम
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि महिलाएं सिंदूर या कुमकुम अपने पति की लंबी उम्र के लिए लगाती हैं। कहते हैं भगवान शिव विध्वंसक के रूप में जाने गए हैं इसलिए शिवलिंग पर सिंदूर या कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए। इसकी बजाए आप चंदन का इसतेमाल कर सकते हैं.
तांबे का लोटा
शिवजी पर इस बार जब आप जल चढ़ाने जाएं तो केवल तांबे या पीतल के लोटे का ही इस्तेमाल करें, स्टील या लोहे के लोटे का नहीं।
शंख बजाना शुभ
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू धर्म में शंख को बहुत पवित्र माना गया है हर पूजा-पाठ के काम में इसे बजाना और इसके जरिए लोगों को जल देना काफी शुभ माना जाता है। लेकिन कहते हैं कि शिवलिंग पर शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा करना वर्जित माना गया है।
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(विश्वविख्यात भविष्यवक्ता एवं कुण्डली विश्ल़ेषक, पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान, जयपुर (राजस्थान) Ph.- 9460872809