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Hartalika Teej 2021 : अखंड सौभाग्य का प्रतीक है हरतालिका तीज

Hartalika Teej 2021 : shubh muhurat, history and significance

Dr.Anish Vyas by Dr.Anish Vyas
September 9, 2021
in Dharma-Karma
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Hartalika Teej Vrat 2021 : shubh muhurat, history and significance

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Table of Contents

  •  Hartalika Teej 2021 : हरतालिका तीज पर 14 साल बाद बन रहा अद्भुत संयोग
  • Hartalika Teej 2021 : हरतालिका तीज पर रवियोग
  • Hartalika Teej शुभ मुहूर्त
  • Hartalika Teej : हरतालिका तीज का महत्व
  • Hartalika Teej : हरतालिका तीज का व्रत कैसे करें?
  • Hartalika Teej : हरतालिका तीज की पूजन सामग्री
  • मां पार्वती की सुहाग सामग्री
  • Hartalika Teej  : पूजन विधि
  • Hartalika Teej  व्रत कथा

 Hartalika Teej 2021 : हरतालिका तीज पर 14 साल बाद बन रहा अद्भुत संयोग

Hartalika Teej 2021 : हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2021) की महिमा को अपरंपार माना गया है। हिन्दू धर्म में विशेषकर सुहागिन महिलाओं के लिए इस पर्व का महात्म्य बहुत ज्यादा है। हरतालिका तीज (Hartalika Teej Vrat 2021) व्रत हिंदू धर्म में मनाये जाने वाला एक प्रमुख व्रत है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया 9 सितम्बर को हरतालिका तीज मनाई जाती है।

दरअसल भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है।

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर – जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि हरतालिका तीज (Hartalika Teej Vrat 2021) पर 14 साल बाद रवियोग चित्रा नक्षत्र के कारण बन रहा है। हरतालिका तीज व्रत कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं।

हरतालिका तीज (Hartalika Teej Vrat 2021) व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था।

हरतालिका तीज व्रत(Hartalika Teej Vrat 2021) करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हरियाली तीज और कजरी तीज की तरह ही हरतालिका तीज के दिन भी गौरी-शंकर की पूजा की जाती है। हरतालिका तीज का व्रत बेहद कठिन है। इस दिन महिलाएं 24 घंटे से भी अधिक समय तक निर्जला व्रत करती हैं।

यही नहीं रात के समय महिलाएं जागरण करती हैं और अगले दिन सुबह विधिवत्त पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत खोलती हैं। मान्यता है कि हरतालिका तीज (Hartalika Teej Vrat 2021) का व्रत करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लंबी होती है जबकि कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है।

यह त्योहार मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इस व्रत को “गौरी हब्बा“ के नाम से जाना जाता है।

Hartalika Teej 2021 : हरतालिका तीज पर रवियोग

 

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि हरतालिका तीज ( Hartalika Teej 2021) पर 14 साल बाद रवियोग चित्रा नक्षत्र के कारण बन रहा है। यह शुभ योग 9 सितंबर को दोपहर 2ः30 मिनट से अगले दिन 10 सितंबर को 12ः57 मिनट तक रहेगा।

हरतालिका तीज (Hartalika Teej Vrat 2021) व्रत का पूजा का अति शुभ समय शाम 05ः16 मिनट से शाम को 06ः45 मिनट तक रहेगा।

शुभ समय 06ः45 मिनट से 08ः12 मिनट तक रहेगा।

हरतालिका तीज (Hartalika Teej Vrat 2021) माता पार्वती का भगवान शिव को प्राप्त करने का पर्व है। करीब 14 वर्ष बाद इस बार रवि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। शाम 5.14 बजे से सभी प्रकार के दोषों को विनाश करने वाले रवि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है।

शास्त्रों में रवि योग को बेहद प्रभावशाली माना गया है। इसमें कई अशुभ योगों के प्रभाव कम हो जाते हैं। यह योग महिलाओं के लिए बेहद शुभ है। इस काल में पूजा करना बेहद लाभदायक है।

Hartalika Teej शुभ मुहूर्त

हरतालिका तीज तिथिः – गुरुवार 09 सितंबर 2021
प्रातः काल पूजा मुहूर्तः – सुबह 06ः03 से सुबह 08ः33 तक
प्रदोषकाल पूजा मुहूर्तः – शाम 06ः33 से रात 08ः51

Hartalika Teej : हरतालिका तीज का महत्व

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि सभी चार तीजों में हरतालिका तीज ( Hartalika Teej 2021) का विशेष महत्व है। हरतालिका दो शब्दों से मिलकर बना है- हरत और आलिका. हरत का मतलब है ’अपहरण’ और आलिका यानी ’सहेली’. प्राचीन मान्यता के अनुसार मां पार्वती की सहेली उन्हें घने जंगल में ले जाकर छिपा देती हैं ताकि उनके पिता भगवान विष्णु से उनका विवाह न करा पाएं।

सुहागिन महिलाओं की हरतालिका तीज ( Hartalika Teej) में गहरी आस्था है। महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को शिव-पार्वती अखंड सौभाग्य का वरदान देते हैं। वहीं कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।

Hartalika Teej : हरतालिका तीज का व्रत कैसे करें?

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि हरतालिका तीज ( Hartalika Teej) का व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है। यह निर्जला व्रत है यानी कि व्रत के पारण से पहले पानी की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है। व्रत के दिन सुबह-सवेरे स्नान करने के बाद “उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये“ मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लिया जाता है।

Hartalika Teej : हरतालिका तीज की पूजन सामग्री

विश्व विख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास के अनुसार हरतालिका व्रत ( Hartalika Teej) से एक दिन पहले ही पूजा की सामग्री जुटा लेंः गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, मौसमी फल-फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद.

मां पार्वती की सुहाग सामग्री

मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, सुहाग पिटारी.

Hartalika Teej  : पूजन विधि

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि हरतालिका तीज ( Hartalika Teej) की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष काल यानी कि दिन-रात के मिलने का समय. हरतालिका तीज के दिन इस प्रकार शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। संध्या के समय फिर से स्नान कर साफ और सुंदर वस्त्र धारण करें।

इस दिन सुहागिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। इसके बाद गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाएं। दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं। सुहाग की सामग्री को अच्छी तरह सजाकर मां पार्वती को अर्पित करें। शिवजी को वस्त्र अर्पित करें।

अब हरतालिका व्रत की कथा सुनें। इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और फिर शिवजी व माता पार्वती की आरती उतारें। अब भगवान की परिक्रमा करें। रात को जागरण करें.। सुबह स्नान करने के बाद माता पार्वती का पूजन करें और उन्हें सिंदूर चढ़ाएं। फिर ककड़ी और हल्वे का भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें। सभी पूजन सामग्री को एकत्र कर किसी सुहागिन महिला को दान दें।

Hartalika Teej  व्रत कथा

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास के अनुसार शिव जी ने माता पार्वती जी को इस व्रत के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया था। मां गौरा ने माता पार्वती के रूप में हिमालय के घर में जन्म लिया था।

बचपन से ही माता पार्वती भगवान शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं और उसके लिए उन्होंने कठोर तप किया। 12 सालों तक निराहार रह करके तप किया। एक दिन नारद जी ने उन्हें आकर कहा कि पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु आपकी पुत्री से विवाह करना चाहते हैं।

नारद मुनि की बात सुनकर महाराज हिमालय बहुत प्रसन्न हुए। उधर, भगवान विष्णु के सामने जाकर नारद मुनि बोले कि महाराज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती से आपका विवाह करवाना चाहते हैं।

भगवान विष्णु ने भी इसकी अनुमति दे दी। फिर माता पार्वती के पास जाकर नारद जी ने सूचना दी कि आपके पिता ने आपका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया है। यह सुनकर पार्वती बहुत निराश हुईं उन्होंने अपनी सखियों से अनुरोध कर उसे किसी एकांत गुप्त स्थान पर ले जाने को कहा।

माता पार्वती की इच्छानुसार उनके पिता महाराज हिमालय की नजरों से बचाकर उनकी सखियां माता पार्वती को घने सुनसान जंगल में स्थित एक गुफा में छोड़ आईं। यहीं रहकर उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप शुरू किया जिसके लिए उन्होंने रेत के शिवलिंग की स्थापना की।

संयोग से हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का वह दिन था जब माता पार्वती ने शिवलिंग की स्थापना की। इस दिन निर्जला उपवास रखते हुए उन्होंने रात्रि में जागरण भी किया।

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि उनके कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए माता पार्वती जी को उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया. अगले दिन अपनी सखी के साथ माता पार्वती ने व्रत का पारण किया और समस्त पूजा सामग्री को गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया. उधर, माता पार्वती के पिता भगवान विष्णु को अपनी बेटी से विवाह करने का वचन दिए जाने के बाद पुत्री के घर छोड़ देने से व्याकुल थे.

फिर वह पार्वती को ढूंढते हुए उस स्थान तक जा पंहुचे. इसके बाद माता पार्वती ने उन्हें अपने घर छोड़ देने का कारण बताया और भगवान शिव से विवाह करने के अपने संकल्प और शिव द्वारा मिले वरदान के बारे में बताया. तब पिता महाराज हिमालय भगवान विष्णु से क्षमा मांगते हुए भगवान शिव से अपनी पुत्री के विवाह को राजी हुए।

 

हरितालिका तीज : अखण्ड सौभाग्य प्राप्ति के लिए रखें व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

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