गंगा सप्तमी 8 मई 2022 : पुष्य नक्षत्र में मनाया जाएगा गंगा सप्तमी का पर्व

Ganga Saptami 2022 : ravi pushya yog on Ganga Saptami know about pujan vidhi and shubh muhurat

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Ganga Saptami 2022 : ravi pushya yog on Ganga Saptami know about pujan vidhi and shubh muhurt

— ज्योर्तिविद् विमल जैन

Ganga Saptami 2022 : भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में विशिष्ट माह की विशिष्ट तिथियों पर देवी-देवताओं का प्राकट्य दिवस श्रद्धा भक्तिभाव से मनाए जाने की धार्मिक मान्यता है।

Ganga Saptami  : गंगा सप्तमी का महत्व

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के मध्याह्न काल में गंगाजी की उत्पत्ति हुई थी। इस बार वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 7 मई, शनिवार को दिन में 2 बजकर 57 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन 8 मई, रविवार को सायंकाल 5 बजकर 01 मिनट तक रहेगी।

इस बार रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र का अनुपम संयोग बनने से गंगा सप्तमी का पर्व विशेष फलदायी हो गया है। पुष्य नक्षत्र 7 मई, शनिवार को दिन में 12 बजकर 18 मिनट पर लगेगा जो कि 8 मई, रविवार को दिन में 2 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।

Ganga Saptami 2022 : व्रत का विधान

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होना चाहिए। अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के पश्चात् अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर गंगा सप्तमी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

गंगा सप्तमी के पावन पर्व पर गंगा स्नान करने की विशेष महिमा है। जो भक्तगण नियमित रूप से गंगा स्नान न कर पाते हों, उन्हें आज के दिन गंगा स्नान अवश्य करके पुण्यफल प्राप्त करना चाहिए।

आज के दिन गंगाजी की विधि-विधानपूर्वक धूप-दीप-पुष्प-नैवेद्य आदि से पूजा-अर्चना की जाती है। गंगा उत्पत्ति से सम्बन्धित कथा का श्रवण, श्रीगंगा स्तुति एवं श्रीगंगा स्तोत्र का पाठ करने का विधान है।

आज के दिन यथाशक्ति ब्राह्मणों को दान तथा बेसहारा एवं असहायों की सेवा व सहायता करनी चाहिए।

गंगाजी की महिमा में रखे जाने वाला व्रत अत्यन्त पुण्य फलदायी माना गया है।

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(हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न -परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिसी एंव वास्तुविद् , एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी)

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