Diwali 2021 : दिवाली महापर्व पर धनतेरस, महालक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज का जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

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Diwali 2021 : दीपों का महापर्व : दीपावली 4 नवम्बर, गुरुवार को
भगवती महालक्ष्मी-श्रीगणेशजी की आराधना का विशिष्ट पर्व दीपावली : Dipawali 

Diwali 2021 दीपावली पर्व (Diwali Festival) का सभी को इंतजार रहता है। दीपावली पर्व भारत सहित कई देशों में मनाया जाता है। दिवाली हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौंहार है। अंधकार मिटाकर रोशनी सबके जीवन में भरने का त्यौंहार है दीपावली। इसलिए सभी लक्ष्मीजी को मनाने के लिए विशेष तैयारियां करते है।

दीपावली का पर्व सभी के लिए सुख, समृद्वि लेकर आता है। इसलिए इस पर्व को पांच दिन तक कई रुपों में मनाया जाता है। आज हम आपको बता रहे है (Diwali Program) दीपावली के पांच दिन का कार्यक्रम, पूजा विध, दान पुण्य सहित ढेर सारी जानकारी।

Diwali 2021 Puja Vidhi : दीपावली पर्व पर पूजन का विधान

दीवाली पर नई चौकी पर लाल वस्त्र बिछा कर लक्ष्मी-गणेशजी को स्थापित करें।
दीवाली पर लक्ष्मीजी, गणेशजी के दाहिनी ओर होनी चाहिए।
दीपावली पूजन का प्रारम्भ घर का मुखिया (पुरुष) करें।
दीवाली पर शुद्ध देशी घी से अखण्ड ज्योति प्रज्वलित करें।
दीवाली पर पूजा करते समय नवीन वस्त्र धारण करें।
दीवाली के दिन पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर पूजा करें।

भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में ‘दीपावली पर्व’ सर्वाधिक लोकप्रिय होने के कारण पूरे विश्वभर में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व धनतेरस (धन त्रयोदशी) से प्रारम्भ होकर भैयादूज तक मनाया जाता है।

Diwali 2021 Festival Program : दीपोत्सव के पंच दिवसीय पर्व

Dhanteras : दिवाली के प्रथम दिन धनतेरस, भगवान श्री धन्वनन्तरि जयन्ती,
Hanuman Jyanti : दिवाली के द्वितीय दिन नरक चतुर्दशी, श्रीहनुमान जयन्ती,
Diwali : दीपावली के तृतीय दिन दीपावली पर्व,
Annkut : दिवाली के चतुर्थ दिन अन्नकूट पर्व
Bhai Dooj  : दिवाली के पंचम दिन भैयादूज, यम द्वितीया, भगवान श्रीचित्रगुप्त जयन्ती के रूप में मनाया जाता है।

दीपोत्सव पर्व 2 नवम्बर, मंगलवार से 6 नवम्बर, शनिवार तक मनाया जाएगा। प्रमुख पर्व दीपावली 4 नवम्बर, गुरुवार को विधि-विधानपूर्वक मनाया जाएगा।

Dhanteras 2021

भगवान श्री धन्वन्तरि जयन्ती/धनतेरस (2 नवम्बर, मंगलवार) : Dhanvantari jyanti -Hanuman Jyanti 

दीपावली पर्व (Diwali Festival) का शुभारम्भ धनतेरस से ही प्रारम्भ हो जाता है। इस बार 2 नवम्बर 2021, मंगलवार को धनतेरस का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।

कार्तिक कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि 2 नवम्बर, मंगलवार को प्रातः 11 बजकर 31 मिनट से 3 नवम्बर, बुधवार को प्रातः 9 बजकर 02 मिनट तक रहेगी। धनतेरस के दिन आरोग्य के देवता आयुर्वेद शास्त्र के जनक श्री धन्वन्तरि जी का जन्म महोत्सव भी धूम-धाम से मनाया जाता है। समुद्र मन्थन के समय धन्वन्तरि जी अमृत का कलश लेकर अवतरित हुए थे।

आयुर्वेद के प्रवर्तक के रूप में तथा श्री विष्णु भगवान के अवतार के रूप में धार्मिक मान्यता है।

कलश की अवधारणा को लेकर नये बर्तन खरीदना शुभकर माना जाता है।

बर्तन के अतिरिक्त नवीन वस्त्र एवं आभूषण, रजत व स्वर्ण के बर्तन खरीदने से अधिक लाभ एवं लक्ष्मी का स्थायी निवास मिलता है।

आरोग्य सुख के लिए धनतेरस से भैया दूज तक अभ्यंग स्नान की काफी महत्ता है।

इन दिनों सुबह सूर्योदय के पूर्व ब्रह्ममुहूर्त में उठकर, दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर, पूरे शरीर पर तेल लगाकर स्नान करने से आरोग्य सुख मिलता है।

तेल के अलावा अन्य वस्तुओं जैसे दूध, दही, देशी घी, तिल, आंवला आदि से स्नान करने पर कष्टों का निवारण होता है।

आरोग्य, ऐश्वर्य, धन एवं यश-मान-प्रतिष्ठा का सुयोग बनता है।

श्री हनुमान जयन्ती (3 नवम्बर, बुधवार)

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को सायंकाल मेष लग्न में श्रीहनुमान जी का जन्म माना गया है। इस दिन श्रीहनुमान जी का जन्म-महोत्सव काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्तिभाव से श्री हनुमान जी की पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा-अर्चना की जाती है।

मेष लग्न सायं 4 बजकर 13 मिनट से सायं 5 बजकर 52 मिनट तक है। श्रीहनुमानजी की कृपाप्राप्ति के लिए श्री हनुमानजी से सम्बन्धित स्तुति यथा श्री हनुमान चालीसा, श्री पंचमुखी हनुमत् स्तोत्र, सुन्दरकाण्ड आदि विविध मंगलपाठ किए जाते हैं। अखंड रामायण का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन व्रत रखने की परम्परा है।

अभ्यंग स्नान से मिलता है आरोग्य सुख (2 नवम्बर, मंगलवार से 6 नवम्बर, शनिवार)

धनतेरस से भैया दूज तक अभ्यंग स्नान की काफी महत्ता बतायी गयी है। अभ्यंग स्नान से आरोग्य सुख मिलता है। इस बार 2 नवम्बर, मंगलवार से 6 नवम्बर, शनिवार तक अभ्यंग स्नान किया जाएगा।

इन दिनों सुबह सूर्योदय के पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर, पूरे शरीर पर तेल लगाकर स्नान करने से आरोग्य सुख मिलता है।

तेल के अलावा अन्य वस्तुओं जैसे दूध, दही, देशी घी, तिल, आंवला आदि से स्नान करने पर कष्टों का निवारण होता है।

आरोग्य, ऐश्वर्य एवं धन-यश की प्राप्ति होती है।

यमराज की प्रसन्नता के लिए सायंकाल मिट्टी के दीपक में तिल का तेल डालकर नई रुई की बत्ती से प्रज्ज्वलित करना चाहिए।

दक्षिण दिशा की ओर मुख करके दीपदान करना चाहिए।

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Narak Chaturdashi : नरक चतुर्दशी ‘रूप चतुर्दशी’, छोटी दीपावली (3 नवम्बर, बुधवार)

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह पर्व 3 नवम्बर, बुधवार को मनाया जाएगा।

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 3 नवम्बर, बुधवार को प्रातः 9 बजकर 02 मिनट से 3 नवम्बर, बुधवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 6 बजकर 04 मिनट तक रहेगी। आज के दिन तेल में लक्ष्मीजी का निवास माना गया है।

सूर्योदय पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर, शरीर पर तेल लगाकर स्नान करना चाहिए। स्नान के पश्चात् नवीन वस्त्र या स्वच्छ वस्त्र धारण करके मस्तिष्क पर तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके यम के निमित्त तीन-तीन जलांजलि देने का विधान है।

इस दिन यम के चौदह नामों -ॐ यमाय नमः, ॐ धर्मराजाय नमः, ॐ मृत्यवे नमः, ॐ अन्तकाय नमः, ॐ वैवस्वताय नमः, ॐ कालाय नमः, ॐ सर्वभूतक्षयाय नमः, ॐ औदुम्बराय नमः, ॐ दध्नाय नमः, ॐ नीलाय नमः, ॐ परमेष्ठिने नमः, ॐ वृकोदराय नमः, ॐ चित्राय नमः, ॐ चित्रगुप्ताय नमः के तर्पण करने से वर्षभर के पाप नष्ट हो जाते हैं। जिससे जीवन में आरोग्य सुख, भौतिक समृद्धि, कार्य-व्यवसाय में सफलता आदि का सुयोग बना रहता है।

नरक चतुर्दर्शी, रूप चतुर्दशी को ‘छोटी दीपावली’ के रूप में भी जाना जाता है। सायंकाल दीपक जलाने की परम्परा है, इसे छोटी दीपावली भी कहते हैं। इस दिन घर के प्रवेश द्वार के बाहर चौमुखा (चार बत्तियों वाला) दीपक रखने से नरक से मुक्ति मिलती है।

परम्परा के मुताबिक आटे का चौमुखा दीपक बनाकर उसे तेल से भरकर चार बत्ती लगाकर प्रज्वलित किया जाता है।

प्रदोष काल के समय तिल के तेल का 14 दीपक प्रज्वलित करके देवस्थान, बाग-बगीचे और स्वच्छ स्थानों पर रखने का विधान है। प्रदोष काल का शुभारम्भ सूर्यास्त के पश्चात् और रात्रि के प्रारम्भ को बतलाया गया है। प्रदोष काल 2 घटी या तीन घटी यानि 48 या 72 मिनट का होता है।

 

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श्रीगणेश-लक्ष्मी एवं दीप पूजन (4 नवम्बर, गुरुवार)
पूजन के लिए प्रदोष काल व स्थिर लग्न विशेष लाभकारी

दीपोत्सव का पर्व दीपावली ‘राष्ट्रीय पर्व’ है, जो हर प्रान्तों में परम्परा के अनुसार काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि के दिन यह पर्व मनाने का विधान है। इस बार यह पर्व 4 नवम्बर, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस पर्व पर मुख्यतः भगवती श्रीलक्ष्मीजी की पूजा अर्चना की जाती है। विशिष्टकाल में की गई पूजा विशेष फलदायी होती है।

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि शुभ मुहूर्त में की गई पूजा-अर्चना से सुख-समृद्धि-वैभव में वृद्धि होती है।

पूजन के लिए प्रदोषकाल व स्थिरलग्न विशेष लाभकारी रहता है।

इस वर्ष कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि बुधवार, 3 नवम्बर को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 6 बजकर 04 मिनट से गुरुवार, 4 नवम्बर को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 2 बजकर 45 मिनट तक रहेगी, तत्पश्चात् प्रतिपदा प्रारम्भ हो जाएगी।

Diwlai 2021 Puja Muhurat : दीपावली के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त

प्रदोषकाल सायं 5 बजकर 11 मिनट से रात्रि 7 बजकर 49 मिनट तक है।

प्रदोष बेला व स्थिर वृषभ लग्न का संयुक्त सर्वोत्तम योग सायं 5 बजकर 52 मिनट से रात्रि 7 बजकर 49 मिनट तक है।

यह समय दीपावली की पूजा-अर्चना प्रारम्भ करने के लिए काफी उत्तम है।

स्थिर लग्न सिंह रात्रि 12 बजकर 20 मिनट से अर्द्धरात्रि के पश्चात् 02 बजकर 24 मिनट तक ही है।

यह मुहूर्त सिंह लग्न में पूजा करने वालों के लिए शुभ फलदायी है।

निशीथ काल रात्रि 11 बजकर 16 मिनट से रात्रि 12 बजकर 07 मिनट तक है।

महानिशीथ काल रात्रि 11 बजकर 16 मिनट से रात्रि 12 बजकर 07 मिनट तक रहेगा।

दीपावली पर चौघडिय़ा मुहूर्त सायंकाल 5 बजकर 11 मिनट से मिल रहा है, जो कि रात्रि 8 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।

इस काल में वृषभ लग्न का समावेश रहेगा।

रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से अर्द्धरात्रि 01 बजकर 18 मिनट पर लाभ की चौघडिय़ा रहेगी।

जिसमें रात्रि 11 बजकर 16 मिनट से महानिशीथ काल का संयोग भी बनेगा।

सामान्यतः श्रीलक्ष्मी-श्रीगणेश व दीपक के साथ समस्त देवी-देवताओं श्रीमहाकाली, श्रीमहासरस्वती, श्रीमहालक्ष्मी व कुबेरजी का पूजन सायंकाल से ही शुरू होकर रात्रि पर्यन्त चलता है।

Diwali Puja : दीपावली पूजन का विधान

दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त सायंकाल से प्रारम्भ हो जाता है।

लकड़ी की नई चौकी या सिंहासन पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछा कर उस पर श्रीलक्ष्मी-श्रीगणेश जी की मूर्ति रखनी चाहिए।

लक्ष्मीजी, श्रीगणेशजी के दाहिनी ओर होनी चाहिए।

श्रीलक्ष्मी-गणेशजी की मूर्तियों के सामने चावल के दानों के ऊपर कलश में जल भरकर अक्षत, पुष्प, दूर्वा, सुपारी, रत्न व चाँदी का सिक्का आदि रखने चाहिए।

कलश पर सिन्दूर या रोली से स्वास्तिक बनाना चाहिए।

कलश के ऊपर चावल से भरा हुआ पात्र रखकर उसके ऊपर जलदार नारियल को लाल वस्त्र में लपेट कर रखना चाहिए।

लाल वस्त्र से लपेटे हुए नारियल के ऊपर रक्षा सूत्र या कलावा 5, 7, 9 या 11 बार लपेटकर रखना चाहिए।

तत्पश्चात् चंदन, चावल, धूप, गुड़, पुष्प, ऋतुफल आदि अर्पित करने के पश्चात् अखण्ड दीप प्रज्वलित करके पूजन करें।

दीपावली पूजन की शुरुआत घर के प्रमुख (मुखिया) को करनी चाहिए।

परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ बैठकर पूजा में भाग लेना चाहिए।

श्रीलक्ष्मी-गणेशजी का षोडशोपचार शृंगार-पूजन करके उनकी स्तुति करनी चाहिए।

रात्रि में श्रीलक्ष्मीजी से सम्बन्धित श्रीलक्ष्मी स्तुति, श्रीसूक्त, श्रीलक्ष्मी सहस्रनाम, श्रीलक्ष्मी चालीसा आदि का पाठ करना चाहिए।

शुद्ध देशी घी से अखण्ड ज्योति प्रज्वलित रखनी चाहिए।

रात्रि में जागरण भी करना चाहिए।

इस रात्रि में श्रीलक्ष्मीजी के मन्त्र का जप कमलगट्टे या स्फटिक की माला से करना विशेष लाभकारी रहता है।

Diwali : मन्त्र

‘ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।’ अथवा ‘ॐ श्रीं नमः।’ मंत्र की माला का जप 1, 5, 7, 9, 11 या 21 माला की संख्या में होना चाहिए। जब तक मंत्र का जप हो, शुद्ध देशी घी का दीपक व गुगल या गुलाब का धूप जलते रहना चाहिए। मंत्र जाप के अन्त में श्री लक्ष्मीजी की आरती भी उतारनी चाहिए।

दीपावली पूजन अपने पारिवारिक रीति-रिवाज एवं परम्परा के अनुसार ही सम्पन्न करना चाहिए, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली बनी रहे।

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Annkut : अन्नकूट महोत्सव (5 नवम्बर, शुक्रवार)

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि के दिन देवालयों में अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। इस बार यह पर्व शुक्रवार, 5 नवम्बर को मनाया जायेगा। अन्नकूट का पर्व देवालयों में मनाने की धार्मिक मान्यता है। इस दिन देवालयों को आकर्षक व मनमोहक ढंग से सजाया जाता है।

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। प्रतिपदा तिथि गुरुवार, 4 नवम्बर को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 2 बजकर 45 मिनट से शुक्रवार, 5 नवम्बर को रात्रि 11 बजकर 15 मिनट तक रहेगी।

शास्त्रों के मुताबिक इस दिन सुख-सौभाग्य, समृद्धि का द्वार खुलता है। आज घर के दरवाजे के समीप गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है। देवालयों में देव-विग्रहों का विधिवत् पञ्चोपचार या षोडशोपचार पूजा करके शृंगार किया जाता है। विविध प्रकार के व्यंजन पकवान मिष्ठान्न आदि का भोग भगवान को अर्पित किया जाता है।

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BhaiDooj : भैयादूज/यम द्वितीया / भगवान् चित्रगुप्त जयंती (6 नवम्बर, शनिवार)

भैयादूज के दिन बहन के घर भोजन करने से मिलती है सुख-समृद्धि

भाई-बहन के स्नेह का पर्व भैयादूज, यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है। भैयादूज के दिन बहन के घर भाई को जाकर भोजन करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को यम का पूजन किया जाता है, जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस बार यह पर्व शनिवार, 6 नवम्बर को मनाया जायेगा।

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि शुक्रवार, 5 नवम्बर को रात्रि 11 बजकर 15 मिनट से शनिवार, 6 नवम्बर को सायं 7 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। भैया दूज के दिन भाई बहन के घर जाकर उसके हाथ से बना भोजन ग्रहण करता है।

आज बहनें रीति-रिवाज के मुताबिक अपने भाइयों को टीका लगाकर उनके दीर्घायु व शुभ मंगल की कामना करती हैं। उसे भगवती लक्ष्मीजी की कृपा से सुख-समृद्धि, खुशहाली प्राप्त होती है। भाई भी बहन को उपहार प्रदान करते हैं। आज के दिन भगवान् चित्रगुप्त जी एवं कलम दवात की भी पूजा-अर्चना की जाती है।

विशेष

पंच दिवसीय महापर्व नव वस्त्र धारण करके पूर्ण शुचिता एवं नियम-संयम के साथ अपने पारिवारिक परम्परा व रीति-रिवाज के अनुसार ही मनाना शुभ फलदायी रहता है।

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Diwali Pujan Samagri : दिवाली पूजन की आवश्यक सामग्री

दीपावली पर हमे पूजन सामग्री की जरुरत होती है। इसके लिए आप इसे नोट कर लेवें।
श्रीलक्ष्मीजी व गणेशजी की मूर्ति
बताशा या गुड़
चांदी के सिक्के
इलायची
कांसे या चांदी की थाली
इत्र
रोली
सुपारी
लकड़ी के दो पीढ़े / पाटे
स्याही
मौली
पान (बिना कटा हुआ)
लाल वस्त्र
केशर
चावल
दूर्वा
सफेद वस्त्र
पानी का कलश
कपूर
पंच पात्र
सिंदूर
हल्दी
धूप
छही
कच्चा दूध
कपूर
पानी का कलश
नारियल
धनियां (साबुत)
दीपक
शुद्व देशी घी
मिष्ठान्न
तेल
बाती (रुई)
गंगाजल
ऋतु फल
ताजा पुष्प
यज्ञोपवीत
गेंहू
लाल चंदन
पुष्पहार
लॉंग
चीनी के खिलौने

Diwali Mantra : दीपावली पर्व पर राशि अधिपति ग्रह के मंत्र

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Diwali Donation : दीपावली पर्व पर राशि अनुसार दान दी जाने वाली वस्तुएं

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Diwali : दीपावली पर्व पर मंत्र जाप

Diwali : दीपावली पर चमत्कारिक यंत्रों से करें लक्ष्मीजी को प्रसन्न

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(हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न -परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिसी एंव वास्तुविद् , एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी)

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