सूर्यग्रह ने बदली अपनी चाल : मेष, वृषभ, कन्या एवं धनु राशि वाले को मिलेगी विशेष कामयाबी

॥ सूर्यग्रह मकर से आए कुम्भ राशि में

॥ मकर राशि में चतुग्र्रही योग दिखाएगा अनेक परिवर्तन

— ज्योतिषविद् विमल जैन

भारतीय ज्योतिष में सूर्यग्रह का नवग्रहों (Surya Ka Rashi Parivartan) में प्रमुख स्थान है। सूर्यग्रह के राशि परिवर्तन से जनमानस को व्यापक प्रभाव देखने को मिलता है। ज्योतिष की गणना के अनुसार मेष से मीन राशि तक सूर्यग्रह प्रत्येक मास अपनी राशि बदलते हैं। जिसका व्यापक असर पूरे विश्वक्षितिज पर देखने को मिलता है। प्रख्यात ज्योतिॢवद् विमल जैन ने बताया कि सूर्यग्रह मकर से कुम्भ राशि में 12 फरवरी, शुक्रवार को रात्रि 9 बजकर 12 मिनट से प्रवेश करेंगे। जो कि 14 मार्च, रविवार को सायं 6 बजकर 04 मिनट तक इसी राशि में रहेंगे। इस एक माह की अवधि कुम्भ संक्रान्ति के नाम से जानी जाएगी।

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि वर्तमान समय में मकर राशि में चतुर्ग्रही योग बनने के फलस्वरूप बुध, गुरु, शुक्र एवं शनि, विद्यमान रहेंगे। कुम्भ राशि में सूर्य एवं चन्द्रमा, मेष राशि में मंगल, वृषभ राशि में राहु, वृश्ïिचक राशि में केतु विराजित हैं। समस्त ग्रह राहु-केतु की परिधि में आने से कालसर्प योग बन रहा है। जिसके फलस्वरूप विश्व में अनेकानेक अप्रत्याशित घटनाओं से जनमानस को सामना करना पड़ेगा। विश्व में राजनैतिक उथल-पुथल देखने को मिलेगी, राजनैतिक में आपसी खींचतान का जोर बढ़ेगा। सत्तापक्ष व विपक्ष में किसी मुद्दे विशेष से वैचारिक विषमताएँ व तनाव देखने को मिलेगी तथा कहीं-कहीं पर राजनैतिक अस्थिरता भी बनी रहेगी। नये राजनैतिक व आॢथक घोटाले भी सामने आएंगे। शेयर, वायदा व धातु बाजार में घटा-बढ़ी के साथ अचानक भयंकर उतार-चढ़ाव के साथ तेजी-मंदी का रुख रहेगा। धाॢमक गतिविधियों को लेकर भी लोग जागरूक रहेंगे। सीमा पर तनाव भी बढऩे की सम्भावना रहेगी।

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि नवग्रहों के परिवर्तन से द्वादश राशियाँ भी प्रभावित रहेंगी। मेष, वृषभ, कन्या एवं धनु राशि वालों को विशेष लाभ का योग बनेगा। जबकि मिथुन, कर्क, ङ्क्षसह, तुला, वृश्चक, मकर, कुम्भ एवं मीन राशि वालों को सूर्यग्रह का विपरीत प्रभाव रहेगा। मिथुन एवं कुम्भ राशि वालों को अनावश्यक कठिनाइयाँ रहेंगी। इनको अपने जीवन में विशेष सावधानी रखनी चाहिए।

मेष—नवीन योजना का श्रीगणेश। ज्ञान-विज्ञान में अभिरुचि। बुद्धि चातुर्य से विवाद का समापन। विविध पक्षों में सफलता।

वृषभ—आय के नवीन साधन सुलभ। प्रेम सम्बन्धों में प्रगाढ़ता। यात्रा सकुशल। कर्ज अदायगी का प्रयास। मनोरंजन में रुचि।

मिथुन—आर्थिक पक्ष से असंतोष। यात्रा में निराशा। कर्ज की अधिकता। धर्म के प्रति अरुचि। आत्मीयजनों से वैमनस्यता।

कर्क—धनागम का मार्ग अवरुद्ध। विश्वासघात की आशंका। वाहन से कष्टï। चोट-चपेट की संभावना। विचारों में उग्रता। आॢथक हानि।

सिंह—धनागम में बाधा। विश्वासघात की आशंका। सुख-साधन का अभाव। वाहन से कष्टï। विचारों में उग्रता। आॢथक हानि।

कन्या—वैमनस्यता का समापन। सामाजिक राजनैतिक कार्यों में रुचि। विरोधी परास्त। लाभ का मार्ग प्रशस्त। व्यावसायिक यात्रा।

तुला—व्यय की अधिकता। आशा अधूरी। जल्दबाजी का निर्णय अहितकर। स्वास्थ्य सुख में व्यतिक्रम। दिनचर्या अव्यवस्थित।

वृश्चिक—व्यावसायिक पक्ष से चिन्ता। कार्य क्षमता में प्रतिकूलता। पारिवारिक मतभेद। जोखिम से नुकसान। विरोधी प्रभावी।

धनु—लाभ का मार्ग प्रशस्त। सफलता का सुअवसर। बुद्धि विवेक से तनाव में कमी। नव समाचार से प्रसन्नता। राजकीय लाभ।

मकर—कार्य क्षमता में प्रतिकूलता। व्यावसायिक पक्ष से चिन्ता। पारिवारिक मतभेद। जोखिम से नुकसान। विरोधियों का वर्चस्व।

कुम्भ—आलस्य की अधिकता। विचारित कार्यों में विलम्ब। लाभ में कमी। आत्मसंतुलन में व्यतिक्रम। आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति।

मीन—दिनचर्या अव्यवस्थित। आपसी तालमेल का अभाव। व्यय की अधिकता। आरोग्य सुख में व्यवधान। यात्रा में प्रतिकूलता।

जिनके सूर्यग्रह विपरीत हों, उन्हें अपने कार्यों में सूझ-बूझ व सतर्कता बरतनी चाहिए साथ ही जोखिम के कार्यों से दूर रहना चाहिए। धन के निवेश के लिए सूझ-बूझ जरूरी है।

विशेष—सूर्यग्रह की प्रसन्नता के लिए अपने आराध्य देवी-देवता की आराधना के साथ सूर्यग्रह की भी अर्चना नियमित रूप से करनी चाहिए। प्रात:काल स्नान, ध्यान के पश्चात् सूर्य भगवान को ताम्रपात्र में रोली, अक्षत, लाल फूल एवं गुड़ डालकर अघ्र्य अॢपत करना चाहिए। साथ ही सूर्यमन्त्र का जप, श्रीआदित्यहृदय स्तोत्र, श्रीआदित्यकवच, श्रीसूर्यसहस्रनाम आदि का पाठ भी करना चाहिए। रविवार के दिन व्रत या उपवास रखकर दिन में 12 बजे से 3 बजे के मध्य बिना नमक का फलाहार करना चाहिए तथा मध्याह्न के समय सूर्यग्रह से सम्बन्धित लाल रंग की वस्तुएँ जैसे—लाल वस्ïत्र, गेहूँ, गुड़, ताँबा, लाल फूल, चन्दन आदि विविध वस्तुएँ नगद दक्षिणा सहित ब्राह्मïण को संकल्प के साथ देना चाहिए।

ज्योतिवद् विमल जैन

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