ज्योतिष आंकलन : कोरोना की चौथी लहर से नहीं होगा नुकसान

Astrology Assessment There Will be no Loss due to the fourth wave of Coronavirus

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Astrology Assessment There Will be no Loss due to the fourth wave of covid -19

Astrology Assessment  : चीन के वुहान शहर से सामने आया कोरोना वायरस (Coronavirus) पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले चुका है।महामारी के रूप में यह वायरस विश्व के अधिकतर देशों में फैल चुका। करोड़ों लोग इस वायरस से प्रभावित हो चुके हैं।

कोरोना की पहली, दूसरी और तीसरी लहर के पश्चात लोगों के मन में एक ही सवाल है इस वायरस से कब मुक्ति मिलेगी और क्या चौथी लहर आएगी।

वैज्ञानिक और डॉक्टर लगातार इसका सफलतम इलाज खोजने में लगे हुए हैं। वही ज्योतिषी इस पर ज्योतिष आंकलन भी कर रहे हैं। कोरोना की चौथी लहर का भारत पर कैसा रहेगा प्रभाव इस बात को लेकर लोगों में अलग-अलग तरह की धारणा है।

कभी तो कोराने संक्रमण कम हो जाता है तो कभी किसी दिन काफी बढ़ जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि चौथी लहर में कोराना का कितना प्रभाव रहेगा। क्या भारत इस वायरस को पटखनी देने में सफल होगा या कोराना फिर अपना दम दिखाएगा।

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि26 दिसंबर 2019 को हुए एक बड़े सूर्य ग्रहण के बाद कोरोना वायरस ने चीन से फैलते हुए एक बड़ी महामारी का रूप लिया l पिछले ढाई वर्षों में लाखों लोगों के प्राण लील लेने वाली इस महामारी के चलते एक बड़ी आर्थिक मंदी से भी वैश्विक अर्थव्यस्था को आघात पहुंचा है l

अब जब भारतीय अर्थव्यस्था में वस्तु एवं सेवा कर के आकड़े इस वर्ष अर्थव्यस्था के मंदी से उबरने का संकेत दे रहे हैं तब कुछ विशेषज्ञों के द्वारा कोरोना महामारी की चौथी लहर से संकट की आशंका जाहिर की जा रही है l

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखें तो गुरु और केतु जीव कारक ग्रह हैं, इन दोनों ग्रहों की अन्य बड़े ग्रहों, विशेषकर शनि और मंगल, से पीड़ा की अवस्था जीवाणु जनित रोगों यानि महामारी का योग बनती है ऐसा भद्रबाहु संहिता का कहना है।l

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि26 दिसंबर 2019 के सूर्य ग्रहण के समय गुरु और केतु की युति शनि, सूर्य आदि ग्रहों के साथ थी तब कोरोना वायरस ने महामारी का रूप लेना शुरू किया। बाद में मार्च 2020 के बाद गुरु की शनि और मंगल से युति ने भारत में कोरोना की पहली लहर से ताला बंदी (लॉक डाउन) के चलते अर्थव्यस्था को ठप कर दिया।

अभी पिछले वर्ष मार्च 2021 में मंगल के गोचर में वृषभ राशि में राहु के साथ युति के चलते कोरोना की दूसरी लहर उत्पन्न हुई थी जिसने अप्रैल से जून के बीच भारत में कोहराम मचा दिया था। मई 2021 में राहु के साथ गोचर में सूर्य, शुक्र और बुध की युति थी जिसने वायरस के प्रकोप को अपने चरम पर ला दिया था।

वर्ष 2021 के अंत में दिसंबर के महीने में मंगल वृश्चिक राशि में गोचर करते हुए केतु से युत होकर वृषभ राशि में बैठे राहु को देख रहे थे तब भारत में कोरोना की तीसरी लहर ‘ओमीक्रॉन’ ने दस्तक दी किंतु वह कमज़ोर रही क्योंकि तब तक गुरु गोचर में मकर राशि को छोड़कर कुंभ राशि में प्रवेश कर चुके थे जिससे शनि से बन रही उनकी युति समाप्त हो गयी थी l

Astrology Assessment on Coronavirus : बृहस्पति और केतु ग्रह हैं संक्रामक बीमारियों के जिम्मेदार

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष में राहु और केतु दोनों को संक्रमण (बैक्टीरिया, वायरस) इंफेक्शन से होने वाली सभी बीमारियों और छिपी हुई बीमारियों का ग्रह माना गया है।

बृहस्पति जीव और जीवन का कारक ग्रह है जो हम सभी व्यक्तियों का प्रतिनिनधित्व करता है इसलिए जब भी बृहस्पति और राहु या बृहस्पति और केतु का योग होता है तब ऐसे समय में संक्रामक रोग और ऐसी बीमारिया फैलती हैं जिन्हें चिहि्नत करना अथवा समाधान कर पाना बहुत मुश्किल होता है पर इसमें भी खास बात ये है कि राहु के द्वारा होने वाली बीमारियों का समाधान आसानी से मिल जाता है।

लेकिन केतु को एक गूढ़ और रहस्यवादी ग्रह माना गया है, इसलिए जब भी बृहस्पति और केतु का योग होता है तो ऐसे में इस तरह के रहस्मयी संक्रामक रोग सामने आते हैं जिनका समाधान आसानी से नहीं मिल पाता और ऐसा ही हो रहा है इस समय कोरोना वायरस के केस में।

Coronavirus : कोरोना वायरस के कारण को ऐसे समझिए

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि मार्च 2019 से ही केतु धनु राशि में चल रहा है लेकिन चार नवम्बर 2019 को बृहस्पति का प्रवेश भी धनु राशि में हो गया था जिससे बृहस्पति और केतु का योग बन गया था जो के रहस्मयी संक्रामक रोगों को उत्पन्न करता है।

चार नवम्बर को बृहस्पति और केतु का योग शुरू होने के बाद कोरोना वायरस का पहला केस चीन में नवम्बर के महीने में ही सामने आया था। यानि के नवम्बर में बृहस्पति-केतु का योग बनने के बाद ही कोरोना वायरस एक्टिव हुआ।

इसके बाद एक और नकारात्मक ग्रहस्थिति बनी जो था 26 दिसंबर को होने वाला सूर्य-ग्रहण जिसने कोरोना वायरस को एक महामारी के रूप में बदल दिया। 26 दिसंबर को हुआ सूर्य ग्रहण समान्य नहीं था क्योंकि इस सूर्य ग्रहण के दिन छःग्रहों के (सूर्य, चन्द्रमा, शनि बुध बृहस्पति, केतु) एकसाथ होने से ष्ठग्रही योग बन रहा था जिससे ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव बहुत तीव्र हो गया था।

भारत में इसका प्रभाव सीएए और एनआरसी के विरोध-प्रदर्शनों में की गयी हिंसा के रूप में दिखा। साथ ही कोरोना वायरस के मामले भी बढ़ते गए। कुल मिलाकर नवम्बर में केतु-बृहस्पति का योग बनने पर कोरोना वायरस सामने आया और 26 दिसंबर को सूर्य ग्रहण के बाद इसने एक बड़ी महामारी का रूप धारण कर लिया।

इससे पहले भी ऐसे ग्रह योग ने मचाई थी तबाही

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सन 1918 में स्पैनिश फ्लू नाम से एक महामारी फैली थी जिसकी शुरुआत स्पेन से हुई थी। इस महामारी से दुनिया में करोड़ों लोग संक्रमित हुए थे। उस समय भी बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ था।

सन 1991 में ऑस्ट्रेलिया में माइकल एंगल नाम का बड़ा कम्प्यूटर वायरस सामने आया था जिसने इंटरनेट और कम्यूटर फील्ड में वैश्विक स्तर पर बड़े नुकसान किये थे और उस समय भी गोचर में बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ।

सन 2005 में एच-5 एन-1 नाम से एक बर्डफ्लू फैला था और उस समय में भी गोचर में बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ था। ऐसे में जब भी बृहस्पति-केतु का योग बनता है उस समय में बड़े संक्रामक रोग और महामारियां सामने आती हैं।

2005 में जब बृहस्पति-केतु योग के दौरान बर्डफ्लू सामने आया था तब बृहस्पति-केतु का योग पृथ्वी तत्व राशि में होने से यह एक सीमित एरिया में ही फैला था जबकि चार नवम्बर को बृहस्पति-केतु का योग अग्नि तत्व राशि (धनु) में बना है जिस कारण कोरोना वायरस आग की गति से पूरे विश्वभर में फैलता जा रहा है।

Coronavirus : चौथी लहर की नहीं है संभावना

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वर्तमान में गुरु मीन राशि में गोचर कर रहे हैं और राहु मेष में चल रहे हैं l

मेष राशि में चल रहे सूर्य की राहु के साथ युति ने कोरोना की चौथी लहर की आशंकाओं के बीच कुछ स्थानों पर वायरस के संक्रमण के बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं, किंतु ज्योतिषीय दृष्टिकोण से किसी अन्य बड़े ग्रह के राहु-केतु से युत न होने के चलते अभी भारत में इस महामारी की चौथी लहर की कोई संभावना नहीं है।

इस वर्ष जुलाई के पहले सप्ताह में मंगल मेष राशि में प्रवेश कर राहु से गोचर में युति बना लेंगे l

मंगल मेष राशि में 45 दिनों तक रहेंगे जिस दौरान जुलाई से लेकर अगस्त के मध्य तक भारत के बड़े शहरों जैस मुंबई, दिल्ली, बंगलुरु आदि में कोरोना के मामले कुछ बढ़ सकते हैं लेकिन अच्छी बात यह है कि उस समय ‘जीव कारक’ ग्रह गुरु मीन राशि में रहेंगे और कोई बड़ा ग्रह इनके साथ नहीं होगा। ऐसे में कोरोना महामारी की स्थिति नियंत्रण में रहेगी तथा चौथी लहर की संभावना न के बराबर होगी l

इनका करें उपयोग

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्रार्थ उल्लेख है कि हमारे जीवन में कुछ ऐसी वस्तुएं हैं। जिन में किसी भी नकारात्मक वस्तु को रोकने की शक्ति होती है और इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है। यह आसानी से कहीं पर भी मिल जाती है।

ज्योतिष शास्त्र में हींग प्याज अदरक नींबू लहसुन तुलसी काली मिर्च लौंग दालचीनी इलायची और राई को किसी भी संक्रमण और नकारात्मक ऊर्जा का काट बताया गया है। सरसों के तेल की मालिश अपने हाथ पीठ छाती और पैरों पर जरूर करें।

जीवन से बढ़कर कोई भी आवश्यक वस्तु नहीं है। भीड़-भाड़ से दूर रहना, मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करने में हम सबकी भलाई है। कोविड वैक्सीन जरूर लगवाएं।

क्या करे उपाय

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि हं हनुमते नमः, ऊॅ नमः शिवाय, हं पवननंदनाय स्वाहा का जाप करें। महामृत्युंजय मंत्र और दुर्गा सप्तशती पाठ करना चाहिए।

माता दुर्गा, भगवान शिव हनुमानजी की आराधना करनी चाहिए। घर पर हनुमान जी की तस्वीर के समक्ष सुबह और शाम आप सरसों के तेल का दीपक जलाएं। सरसों के तेल का दीपक सुबह 9:00 बजे से पहले और सांयकाल 7:00 बजे के बाद जलाना है।

गोमूत्र, कपूर, गंगाजल, नमक और हल्दी मिलाकर प्रतिदिन घर में पोछा लगाएं। घर के मुख्य द्वार के दोनों साईड ( अंदर-बाहर ) बैठे हुए पंचमुखी बालाजी की तस्वीर लगाएं। ईश्वर की आराधना संपूर्ण दोषों को नष्ट एवं दूर करती है।

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(विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक, विधाधर नगर, जयपुर (राजस्थान) Ph.- 9460872809

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